१.
क्या अब मोदी सरकार
द्वारा.., अब..., देश का सही इतिहास पढा
कर.., इस क्रांतिवीर को सम्मान दिया जायगा ...,
२.
क्या आज की तरह, इस महान
क्रांतीकारी “वीर सावरकर” के जन्म दिवस
पर, TWITTER पर दो लाइनें लिख कर.., सत्ता
के एक साल से अपने कार्यकर्ताओं के ढोल
से.., २ हजार सभाओं के बखान से, सत्ता के मोह में लीन हो जायेंगे या वीर सावरकर के राष्ट्रवादी
इतिहास से देश को जिन्दादिली से राष्ट्रवादी बिगुल फूकेंगे
३.
आज तक हमें पढ़ाया जा रहा था कि हम बुजदिल कौम थे.., और हम हजार सालों से गुलाम
थे.., और सत्य के प्रयोग व ब्रह्मचर्य के प्रयोग से “अहिंसा” के मंत्र से, “बिना
खड़ग , बिना ढाल” से, एक को महात्मा व दूसरे को चचा बनाकर, इतिहास में उनके छद्म खेल को.., उन्हें पुजारी की तरह उनके नामों
का गाँव.शहर.नगर में लाखों जगह पर अलंकरण कर, आज भी उन्हें पुतला बना के ताली से, भ्रष्टाचार की थाली बनाकर पूजा जा रहा है,
४.
वीर सावरकरजी का
जन्म तो भारतमाता को बेड़ियों से मुक्त करने के ध्येय से, अग्निपथ पर चलने के लिए
ही हुआ था.., देश के लिये लड़ने पर वे कई बार काल
के मुख में जाने के बाद भी, उनके चेहरे
में शिकन तक नहीं थी
५.
. उनकी इतनी अग्निपरीक्षा हुई, यदि लोहे की होती तो, पिघल जाता,
मृत्यु पर्यंत उनकी चेहरे पर भारतमाता की सेवा करने व उनके नासिक के
घर को जब्त करने, व सत्ता परिवर्तन (१९४७) के बाद , नेहरू द्वारा घर पर नजरबन्द रखने के बावजूद कोई अफ़सोस नहीं किया ========================
१.
यह कहा जाए कि आधुनिक भारतीय इतिहास में जिस
महापुरुष के साथ सबसे अधिक अन्याय हुआ, वह सावरकर ही हैं तो
कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी
२.
वीर सावर के निम्न गुणों में महारत थी.., जो
चाणक्य में भी न थी. वीर सावरकर, वे प्रकांड विद्वान, कवि, लेखक, सभी धर्मों के
ज्ञाता के साथ प्रख्यात इतिहासकार थे. उन्हें मराठी साहित्य का कालिदास भी कहा
जाता है..
३.
वीर सावरकर ::: एक महान विद्वान
,राजनयिक, , स्टेट्समैन राजनेता, तत्वचिंतक
, क्रांतीकारक लेखक, नाटककार, महाकवि, सर्वोत्तम वक्ता, पत्रकार, धर्मशील,
नीतीमान, पंडित, मुनि, इतिहास संशोधक, इतिहास निर्माता, राष्ट्रीत्व के दर्शनकार, प्रवचनकार,
अस्पर्शयता निवारक, शुद्धी कार्य के प्रणेता, समाज सुधारक, विज्ञान निष्ठा सिखाने
वाले , भाषा शुद्धी करने वाले, लिपि सुधारक,
संस्कृत भाषा पर प्रभुत्व, बहुभाषिक हिंदुत्व संगठक, राष्ट्रीय कालदर्शन के प्रणेता, कथाकार,
आचार्य, तत्व ज्ञानी, महाजन, स्तिथप्रज्ञ, इतिहास समीक्षक, धर्म सुधारक विवेकशील
नेता व हुतात्मा थे
४.
आज स्वामी विवेकानंद के विचार “धर्म परिवर्तन’
अर्थात “राष्ट्र परिवर्तन” का सन्देश देकर, वे युवकों में प्रसिद्द हो गए.., वीर
सावरकर ने भी यही कहा और प्रत्यक्ष रूप से “रण” में ऊतर कर, अन्य धर्मों में गए
हिंदुओं का शूद्धीकरण से उन्हें सम्मानित किया
५.
एकमेव वीर सावरकर,
भारतमाता के परमवीर पुत्र जिन्होंने अपना 100%
सम्पूर्ण जीवन, अपने ज्ञान व शक्ती के अपने “राष्ट्रवादी” विचारों से, सत्ता के मोह को त्यागकर भारतमाता को समर्पित कर दिया
६.
एकमेव वीर सावरकर
जिन्होंने अपनी पूरी संपत्ती राष्ट्र को समर्पीत कर दी, मौत के पहिले उन्होंने कहा “जो मरे पास नकद ५ हजार रूपये हैं.., वे अन्य धर्मों से हिंदु धर्म में आये
हिन्दुओ के शुद्धीकरण में खर्च करना”
७.
इतना ही नही इस देश के
अतुल्य क्रांतीकारी का पूरा परिवार भारतमाता की बेड़ियां तोड़ने में अपने को झोंक
दिया था.., उनके बड़े भाई पंजाब के जेल व छोटे भाई अंडमान जेल में बंद थे
८.
वीर सावरकर की किर्ती का
कितना भी बखान किया जाय कम है, वे तो गुणों के खान थे ..., आधुनिक इतिहासकारों ने
देश के गांधीवादी नेताओं के लुंज-पूंज जुगनूओं की चमक
को, सूर्य की तरह महामंडित किया है...
जबकि सावरकर को दिन का जूगनू
कह कर , अन्धेरा इतिहास लिखा है.., याद रहे इस (वीर सावरकर) जूगनू ने अंग्रेजों के न डूबने वाले सूरज के पसीने छूड़ा दिये थे
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