Monday, 27 April 2015

६८ सालों बाद “वीर सावरकर” को सुभाषचंद्र बोस से भी भयंकर देशद्रोही कह कर, छद्म राष्ट्र निर्माण के मसीहाओ ने, इस इतिहास को इतनी गहन गहराई में दफ़न कर दिया है, ताकि हमें बुजदिल कौम कहकर, देशवासियों को हताश कर, हमारा गौरवशाली अतीत को न जत्लाकर, विदेशी जल्लादों के हाथों हमारे देश को लुटवाते रहें




१.  हिंदुत्व में जनेऊ धारण करने के सैकड़ों वैज्ञानिक कारण है, लेकिन देश भक्ती के सात्वीक रस से जनेऊ को राष्ट्र  का वीर रस से, समुन्द्र में  चलते ब्रिटिश जहाज से कूद मारने  के लिए जिसे गोल खिड़की से अपने शरीर की चौड़ाई, जनेऊ  से माप कर वीर सावरकर ने निश्चित कर लिया कि उनका शरीर उस खिड़की से आसानी से बिना अटके निकाल सकता है..., शौच के बहाने उस शौचालय की  खिड़की से एक ऐतिहासिक साहसिक छलांग से , उस  विशाल गहराई के समुन्द्र की परवाह न करते ३ किलोमीटर से ज्यादा दूरी तैर कर.., (२८ मई वीर सावरकर की जन्म तिथी है)
२.   अंगरेजी सैनिकों द्वारा  नाव से उनका पीछा  करते, वीर सावरकर , गोलियों की बौछार के जोखिम की परवाह न करते वे “मार्सेल्स द्वीप” में पहुँच गए थे.., यह उनका व देश का दुर्भाग्य था कि उन्हें बचाने व भगाने में  फ़्रांस द्वीप में श्यामजी वर्मा व उनके साथियों के “मार्सेल्स द्वीप” में पहुँचने में १५ मिनट की देर हो गई थी और वे  अंग्रेज सैनिकों द्वारा पकड़े गए  अन्यथा  वे अंडमान जेल में कैद न होते
३.   अंडमान जेल से छूटने पर ८ जनवरी १९२४ को जब सावरकर जी रत्नागिरी में प्रविष्ट हुए तो उस समय  ... किसी भी शुद्र को नगर की सीमा में धोती के स्थान पर अगोछा पहनने की ही अनुमति थी. ... 
४.   वीर सावरकर ने घोषणा  की,कि नगर ही में ही नहीं  इस मंदिर में समस्त हिंदुओं की जाति  को एक समान पूजा का अधिकार हैं, दलित व भंगी समाज को भी जनेऊ के साथ हमारे सभी धर्म ग्रंथों पर सामान अधिकार है...
५.   पुजारी पद पर गैर ब्राह्मण दलित की  नियुक्ति कर जातिवाद की विष बेल को जड़ से समाप्त कर विश्व को बता दिया कि देश के बाहरी शत्रुओं के साथ देश के भयानक “जातिवाद के कलंक” से  धर्म परिवर्तन के रूख से राष्ट्र परिवर्तन से  सिकुड़ते हिदुस्तान के इस भंवर को रोकने की भी उनमें ताकत है...
६.    विश्व को एक अप्रतीम सन्देश दिया लेकिन गांधी ने भी अंग्रेजों का सेफ्टी वाल्व बनकर इसका घोर विरोध किया ..,
७.   काश यदि हमने सावरकर के आदर्शो को माना होता तो.., आज तक भारतमाता इस जातिवाद के वोट बैंक, जो एक नागरूपी सर्प दंशसे आज भी घायल न रहती ..

८.  आज ६८ सालों बाद “वीर सावरकर” को सुभाषचंद्र बोस से भी भयंकर देशद्रोही कह कर, छद्म राष्ट्र निर्माण के मसीहाओ ने, इस इतिहास को इतनी गहन गहराई में दफ़न कर दिया है, ताकि हमें बुजदिल कौम कहकर, देशवासियों को हताश कर,  हमारा गौरवशाली अतीत को न जत्लाकर, विदेशी जल्लादों के हाथों हमारे देश को लुटवाते रहें  

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