बोलू: आज दिल्ली में तो केजरीवाल, आँखों में कजरा डाल, करंजीवाल से फर्जीवाल बनकर गुड़ खा रहा है व गुड़गांव में योगन्द्र व प्रशांत गुड़ जमा करने का आन्दोलन का ..,क्या नजराना देख रहा है.. अब तो पार्टी टूट के कगार में है ..
देखू: पहले ,दिल्ली में तो फर्जीवाल ने अपने को भगत सिंग व नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के विचारों से व्यवस्था परिवर्तने का दंभ भर रहा था .., अब नेहरू की तरह , भारी सीटों पर जीत प्राप्त कर, सत्ता सुख भोगने के लिए , अब योगेन्द्र यादव, व प्रशांत भूषण को नेहरू की तरह, अपनी पार्टी के जाबांज नेता को सुभाष चन्द्र बोस व भगत सिंग की जासूसी के आरोप में बाहर कर, सत्ता मिलने पर गांधी के स्वराज से व्यवस्था परिवर्तन के बजाय.., मेरा राज व लोकपाल की जगह ठोकपाल की व्यवस्था से अपने सभी विधायकों को गाड़ी ,बंगला, पद देकर अपना राज को अति सु रक्षित बना दिया है...
सुनू: हाँ , अभी-अभी मैं सुन रहा हूं , अमेरिका के “टाइम” पत्रिका ने फर्जीवाल के इस खेल में महारत हासिल करने से अपने मुखपृष्ठ में स्थान दे रहा है..
बोलू: दिल्ली की जनता भी कह रही आप तो ऐसे न थे ..., आप ऐसे कैसे निकले..!!!
सूनू: पार्टी के दान दाता भी अपने “दान” की राशि को वापस मांग रहे है.., कोई अपनी गाड़ी तो कोई अपनी गाढ़ी कमाई ,तो.., कोई आप पार्टी के चुनाव रंग के चिन्ह (लोगो) को वापस मांगने पर, पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष तो देश के संस्कृति की दुहाई देते हुए कह रहें है कि देश के खान-दानी इतिहास में हमारी जमाँ हुई दान की खान की राशी को तो वापस नहीं किया जाता है.., आज तक देश के किसी लुटेरे ने भी यह राशि नहीं लौटाई है ...!!!.
बोलू; एक कहावत है, “दान व स्नान किसी को बताया नहीं जाता है..,” लेकिन वे दान दाताओं के धन का उपयोग “राष्ट्रनीती” के बजाय “सत्ता को प्राप्त करने की नीती” से, हमारे दान को साम-दाम-दंड-भेद से लोकतंत्र की ह्त्या करने पर. उनके इस स्नान का नंगापना दान दाताओं को पता चलने पर वे आक्रोशित हो गए है...
देखू: नेहरू ने तो अपना चुनाव चिन्ह दो बैलों की जोड़ी से.., अय्याशी से इन बैलों की मेहनत को हताश कर, इनमें विदेशी खून डालकर, देश के किसानों से जावानों को भूखमरी के कगार में पहुंचा दिया था .., और डॉक्टर आम्बेडकर से संविधान बनवाकर, उन्हें दरकिनार कर दिया था
बोलू: हाँ.., डॉक्टर आम्बेडकर की कठोर मेहनत के बावजूद , संविधान में देरी देरी से उन्हें लताड़ते रहे.., लेकिन प्रशांत भूषण द्वारा ६ महीनों की कड़ी मेहनत से, व योगेन्द्र यादव की बैल की तरह मेहनत से, जनता को एक स्वस्थ व्यवस्था का विश्वास से फर्जीवाल को भारी बहुमत दे दिया.
देखू: अब केजरीवाल, सत्ता की करंजी खाने , फर्जीवाल बनकर, जनता को असलीवाल बताने के ल्हेल में, इन्हें दो मुंहा बैल कहकर इन पर सवार होकर, अपने ही झाडू को तोड़ने के जादू से ..., इन बैलों की राजनैतिक ह्त्या कर ,अपनी सत्ता को संवारने का खेल खेल रहें है..
सूनू: इस खयाली पुलाव में मनीष सिसोदिया व संजय सिंग भी इन बैलों की घंटी से नौटंकीवाल की जय-जयकार कर, कह रहा है, फर्जीवाल.., तुम हमारे गुरू घंटाल..कहकर पार्टी के “भाईचारा” का सन्देश प्रसारित कर रहा है .
बोलू: यह पूरा खेल “'इंसान का इंसान से हो भाईचार..,यही पैगाम हमारा..,,का नारा की आड़ में हमारे ठोकपाल की नीती के जो विरोधी है, वह दुश्मन हमारा.., की शराफत का खेल से जनता को भरमा रहा है देखू: देश में गांधी.., सुभाषचंद्र बोस , भगतसिंग के विचारों की ह्त्या कर देश फिर से ६८ साल पहिले की राजनीती से नेहरू के विचारों की बल्ले-बल्ले हो रही है.., सत्ता से ही आराम है .., हे राम का आर्शीर्वाद है.., सुख से पूर्ण विराम है
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