Sunday, 12 April 2015

लगाओ दहाड़, बने.., मार्सेल्स द्वीप में बने “वीर सावरकरजी का स्मारक” और २६ फरवरी २०१६ को वीर सावरकरजी की ५० वी पूण्य तीथी पर उनका माल्यार्पण हो..



१. मोदीजी, आप फ़्रांस में हैं.., लगाओ दहाड़, बने.., मार्सेल्स द्वीप में बने “वीर सावरकरजी का स्मारक” और २६ फरवरी २०१६ को वीर सावरकरजी की ५० वी पूण्य तीथी पर उनका माल्यार्पण हो..
२. 8 जुलाई 2010.., देश के इतिहास का सबसे बड़ा काला दिन, जागो मोदी सरकार, फ़्रांस ने तो श्यामजी वर्मा की अस्थियाँ ७० साल तक सजोई थी, लेकिन सावरकर के पराक्रम की याद व आस्था आज १०५ सालों बाद भी सजोई रखी है 
३. आप तो श्यामजी वर्मा की अस्थियों का विसर्जन से गुजरात में इनका स्मारक बनाकर गौरान्वित हो...
४. 8 जुलाई 2010, को वीर सावरकरजी मार्सेल्स द्वीप की ऐतिहासिक छलांग के पसीने से, 100 वर्षों पूरे होने के उपलक्ष्य में फ़्रांस सरकार, अपने खर्च पर, अपनी भूमि पर मूर्ती का निर्माण कर , सरकारी समारोह से वीर सावरकरजी को अन्तराष्ट्रीय रूप से गौरान्वीत कर, विश्व की युवा पीढी को राष्ट्रवाद से यौवान्वित का सन्देश देना चाहती थी .., लेकिन कांग्रेस के लूटेरों ने फ़्रांस सरकार के इस प्रकल्प पर पानी फेर दिया,
५. १९६२ के चीन के दलाल.., मणि शंकर अय्यर जो इंग्लैंड में चीन के युद्ध का समर्थन करते हुए .., चीन के चहेते बनकर भारी चंदा इकठ्ठा कर रहे थे , वे भी नेहरू के चहेते बने रहे.., संसद में वीर सावरकर के तैल चित्र का अनावरण हो, या अंडमान के विमानपत का नाम वीर सावरकर के नाम रखने व फ़्रांस में स्मारक की भूमिका में वीर सावरकर के विरोध में अग्रीम भूमिका निभाकर आज भी कांग्रेस के स्तंभकार बने हुए है...

६ . देश के, सेना के, १४ लाख जवान तो प्रथम विश्व युद्ध में आजादी पाने के. कांग्रेसीयों के झांसे से.., ७५ हजार सैनिक तो ‘बलि का बकरा बने’ व २ लाख सैनिक “विकलांग” बने और कांग्रेसी तो , अंग्रेजों के तलुवे चाटकर अपने को, अंग्रेजों का सेफ्टी वाल्व बनाकर, महाबली बनाकर “KINGKONG” की उपाधि से महामंडित करते रहे.
७. याद रहे .., श्यामजी वर्मा ने वीर सावरकर की अप्रतिम प्रतिभा को पहचाना.., और सावरकर ने उनके विचार को सार्थक कर ,इंग्लैंड में श्यामजी वर्मा द्वारा “इंडिया हाऊस” को विश्व पटल में ‘क्रांतीकारी हाऊस” बनाकर, अंग्रेजों के रोंगटे खड़े कर दिए .., सजा के लिए,पानी के जहाज से अंडमान जेल ले जाते समय.., फ़्रांस के रास्ते में, अंग्रेजो के जहाज से एक ऊंची छलांग मार्सेल्स द्वीप के सागर में क्रांतीकारियों के दिलों में गागर भर दिया था
८. विश्व के क्रांतीकारियों में एक राष्ट्रवाद के हलचल से , इस अन्तराष्ट्रीय मुद्दे से एक अमिट छाप छोड़ दी थी.., अंग्रेजों से गुलाम देशों ने भी सावरकर का लोहा माना
९. विश्व समुदाय के विरोध से इनका यह मुकदमा हैग के अन्तराष्ट्रीय अदालत में चलाया गया..., यह भी अप्रितम उदाहरण था
१०. जर्मनी के आक्रमण के डर से फ़्रांस व इंग्लैण्ड की संधियों की वजह से उन्हें ५० साल की दो जन्मों के कारावास की कड़ी सजा सुनाकर अंडमान के काला पानी में सजा भुगतनी पड़ी .., लकिन वीर सावरकर की कला से वे मात्र, १३ साल के कारावास से पुनर्जन्म से, एक नए पूर्ण जन्म से.., देश की सेवा निस्वार्थ रूप से.., भारतमाता को गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के लिए , बिना सत्ता मोह से , देश की आजादी को अखंड भारत के प्रखंड विचारों में कायम रहे
११. दोस्तों बड़े दुःख के साथ लिखना पड़ रहा कि अन्ग्रेंजो के साथ सत्ता की मिलीभगत से देश को खंडित कर अहिंसा के झांसे से १९४७ में, १० लाख से ज्यादा हिन्दुस्तानियों का क़त्ल कर , सत्ता परिवर्तन के झांसे को आजादी कह कर , इन गद्दी दारों ने वीर सावरकर को नजरबन्द व सुभाषचंद्र बोस सरदार भगत सिंग के घरों पर खुफिया निगरानी से, इंग्लैंड की महारानी को, देश के गद्दी दार बनकर क्रांतीकारियों को गद्दार कर देश के टुकड़े कर देश के मसीहा बनकर, लाखों सड़क, मोहल्लों, शहर से देश संस्थानों को अपने नाम व पुतलों से अब अमर कहलाते रहे ...!!!!!!.

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