१. निर्भया कांड की TRP से मीडिया मालामाल, अब बलात्कारी मुकेश के इंटरव्यू की डाक्यूमेंट्री बना कर, डाकू के खेल से अपनी अपनी गिद्ध मानसिकता के पर्दाफाश होने का नहीं मलाल..., फिर से खेल में, हो रहे मालामाल...
२. इसे मधुरस बनाकर, अखबारों में छपा.. वहीं चैनलों पर इसी मुध्हों को लेकर बहस का दौर जारी है..., राज्य सभा में जया बच्चन व अन्य लोगों का हंगामा... राज्य सभा के समय की बर्बादी , राजनाथ सिंह की सफाई भी काम न आई
३. लोकतंत्र में अभिव्यक्ती की स्वतंत्रता नागरिकों का मूलभूत अधिकार है परन्तु इस अधिकार की लक्ष्मण रेखा है ! अभिव्यक्ती की स्वतंत्रता के नाम पर किसी के बेडरूम में घुसाने की स्वतंत्रता मीडिया की भी नहीं है ...
४. वर्तमान दौड़ की व्यवसायिक होड़ का माहौल है , लेकिन नैतिकता , संस्कृति , रीती रिवाज , सामाजिक मर्यादा के पलने व संरक्षण की जिम्मेदारी धन लोलुपता से अब गिद्ध मानसिकता से हदें तोड़ती हुई, रस लेकर रिपोर्टिंग कर, अपने सामाजिक सरोकार और मर्यादा की लक्ष्मण रेखा को भी रौदती दिख रही है...
५. पत्रकारिता व्यवसाय हो कर भी पूरी तरह व्यवसाय नहीं है, क्योंकि उस पर समाज को रास्ता दिखाने की जिम्मेदारी है, जिसकी अपनी लक्ष्मण रेखा, मर्यादा दिखाने की जिम्मेदारी भी है.., जिसकी अपनी लक्ष्मण रेखा मर्यादा और नीजी धर्म भी है!,
६. सवाल यह है कि एक बहशी दरिन्दों को बलात्कार को जस्टीफ़ाइड करने का मौक़ा देकर, उस क्रूर दंभ को लोगों के सामने परोश कर क्या मीडिया अपनी लक्ष्मण रेखा को ही नहीं रौंद रही है...!!!!?????
७. क्या मीडिया पर गिद्ध की मानसिकता सवार हो गई है????, इस यक्ष प्रश्न का जवाब भी मीडिया को देना होगा हालांकि मामला गर्म होने के बाद दिल्ली पुलिस ने दरिन्दे मुकेश के खिलाफ एफआ र दर्ज की है और तिहाड़ जेल प्रशासन ने बी,बी,सी, को नोटिस जारी किया है ,परंतू तिहाड़ जेल में बी.बी.सी. प्रतिनीधी दरिन्दे तक पहुंचा कैसे इसका जवाब भी तिहाड़ जेल प्रशासन को देना भारी पड़ सकता है....
८. जुलाई २०१३ में गृह मंत्रालय की अनुमति को उस समय के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अनुमति का खंडन कर, अपने को भले महामंडित किया हो. लेकिन इस परदे के पीछे मीडिया का भेड़िया खेल का भेद छुपा है...!!!!
२६/११ के आतंकी हमले व कसाब के TRP हिसाब में मीडिया मालामाल, फूहड़ विज्ञापनों व समाचारों से लूट तंत्र के भागीदारों की दलाली से चमकाएं अपने गालों की लाली...
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