अन्ना तेरे त्रिशूल के “हम
दो फूल”, अब जनता की आँखों में झोकेंगे धूल..
क्या फिर से..??
अन्ना को गन्ना बनाकर चूसने का खेल बनेगा ,
क्या..!!!, त्रिशूल
के, “त्रिनेत्र” को गिराकर.., क्या अब, अपने चाटुकारों के चौखट से अपना मुखौटा
बचाए रखेंगे .., नौटन्कीवाल..!!!!....????.
१
कहते
है.., राजनीती में सफल व्यक्ती वही होता
है जो विरोधियों को उनके ही हथियार से ख़त्म कर दे.. अब चुनावी जीत के बाद.., करंजीवाल
तो, अपने ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से
संशयित हैं कि कहीं तख्ता पलट न हो जाए.., इसलिए कुर्सी के चारों पावों को पकड़ कर
, कही खरोच न आ जाये.., इसलिए पार्टी के चारों
लोकतंत्र के खम्भों की कमान पकड़कर
सर्वोसर्वा के खेल में..., कोई और पार्टी का बन्ना (दुल्हा-राजा) न बन जाए इससे भयभीत हैं...,
याद
रहे पिछले चुनाव में बिन्नी ने करंजीवाल को बन्ना बनने के राह में जो रोड़े बनाए, आज भी उसका दर्द, उन्हें कोड़े की तरह सता रहा है...
२
पार्टी
के संस्थापक, संविधान निर्माता..,जो बुनियाद से भवन तक बनाकर चले गए थे..., जो छोड़कर गए उनसे नौटन्कीवाल खुश थे
लेकिन जो छोड़ने को तैयार नहीं थे उन्हें जलील कर , आरोपी बनाकर निकाल दिया.
करंजीवाल
के दमन से तो अंजलि दामनिया ने दामन छोड़ते हुए अश्रुपूर्वक विदाई देते हुए कहा..ऐसी
राजनीती से तो मेरा ह्रदय कांप गया है...,
अब दुबारा मैं राजनीती में नहीं आऊंगी
३ कहते हो जब सत्ता बंदरो के हाथ आती है... और
बंदरों के हाथ उस्तरा आता है तो वे आपस में सत्ता के वर्चस्व में , बन्दर बांट में
आपस में भिड़ंत कर उत्पात मचाते हैं,,, और मोहल्ले वाले खौफ में रहते हैं
४ अब “आप पार्टी” बनाम केजरीवाल की “मैं
पार्टी..,”.चुनाव व शपथ ग्रहण के समय “'इंसान का इंसान से हो भाईचार..,यही पैगाम
हमारा..,,का नारा
, इसी भेड़िये की खाल में, राजनीती के भेद को जानकर, अपने को छद्म
पैगम्बर के खेल में, वोट बैंक की तुष्टीकरण से मुस्लिमों द्वारा अपने को नेता मान
लेने का , व कृष्ण की छद्म भूमिका से मोदी
के सत्ता का रथ कैसे रोका जाता है... यह
तोड़ केजरीवाल ने जाना
५ जामा मस्जिद के इमाम बुखारी ने, जो हमेशा अपने
को मुस्लिमों का पैगम्बर मानकर हर चुनाव में, फतवे जारी करते थे..,, और विपक्ष भी
घबराए रहता था . जब इस बार इमाम बुखारी ने
“आप
पार्टी” को वोट देने के फतवे का ऐलान किया तो , केजरीवाल ने छुपे खाल से इमाम के
फतवे को नकार कर, अपने को छद्म मुस्लिम पैगम्बर के झांसे से वाह-वाही लूटी
, हिन्दू-मुस्लिम एकता को वोटों से बरगला
कर , ६८ सालों की धर्मनिरपेक्षता की छद्म राजनीती के खेल में, इस खेल को जीत कर ..., उत्तरप्रदेश के मुलायम-मायावती और बिहार के लालू –नीतीश जैसे नेताओं को भी मात देकर अचंभित कर दिया
६ ६८ सालों से , देश के राजनेताओं कि इस तरह की राजनीती
को नौटंकीवाल ने पिद्दी साबित कर,
इस नए फ़ॉर्मूले से वे भी अब असमंजस में है.., कैसे हमारे मुद्दे का अपहरण
कर, जनता को बेवकूफ बनाकर, हिन्दू-मुस्लिम एकता के छद्म बैंड - बाजे से .., राजनीती
का छुछुंदर अब सता से मस्त कलंदर बन गया है...,
७ सत्ता
के , करंजीवाल को अब पता है कि STING OPERATION तो कच्चे धागों का खेल है, इससे आज की राजनीती में कानूनी दाग
नहीं लगता है..., उनके इस घिनौने कृत्य को
सैवेधानिक चुनौती देने से.., परिणाम आने में.., क़ानून में देर भी है..., और अंधेर भी है..., लालू
घोटाला चालीसा से A जी से z जी के कानूनी विचाराधीन गुनहगार, आज भी VIP सुरक्षा से
लैस हैं...
८ जनता तो इस खेल में ६८ सालों से अँधेरे में है.., जनता तो इस बात को ६८ सालों से भूली हुई है.., और
न्याय की देरी से.., इसमें और अन्धकार का
समावेश होते रहता है ..
९ अंधेरी गुफा में, कितने भी प्रकार का अन्धेरा रखो, तो भी .., किसी को पता नहीं चलता
है..., और सत्ता परिवर्तन के बाद ही जातिवाद, धर्मवाद, अलगाववाद के इस गुफा के अँधेरे से..., देश..., विदेशी हाथों के चुंगल से गर्त में चला गया है..
१० यही मेरे देश का दर्द है.., इस दर्द का राज व
मर्ज, आज तक देशवासी समझ नहीं पाये
है..,
११ मुस्लिम उम्मीदवारों से खार खाए बैठे,
नौटंकीवाल के जीवन में बहार है.., पिछले चुनावी सत्ता में मुख्यमंत्री पद “भगौड़ेवाल” से सत्ता की छटपहाट में मुस्लिम वोट बैंक हड़पने के
ख्वाब से, मुस्लिमों को उम्मेदवारी देने से कहीं अपने द्वार बंद न हो जाएँ , इस के डर से, पार्टी में बगावत होने से, दावत खाने के
खेल में खलल था.. जो सत्ता के करंजीवाल ने
जाना
१२ याद रहे पिछले चुनाव में आप पार्टी के २८ विधायक चुनाव जीतने से
सत्ता में आने की छटपहाट से ,, आप पार्टी के गोपाल राय व अन्य लोग , दिसंबर २०१२ में “राणेगण सिद्धी गाँव ” में
अन्ना अनशन के वक्त, अन्ना का आशीर्वाद लेने गए थे ..., तब अन्ना ने उन्हें राणेगण सिद्धी से लताड़ कर बाहर कर दिया था..,
१३ फरवरी
२०१५ में , दिल्ली में, करंजीवाल तो अन्ना के संग , सत्ता को कचहरी बनाने के खेल में, कचौरी खाने के खेल में जुटे है.., अब समय ही बताएगा कि करंजीवाल, अन्ना
को दुबारा गन्नाकर बनाकर, चूसकर अपना भविष्य उज्जवल करेंगे..
या इस खेल में
अन्ना..., पिछले अनशन की तरह मोहरा बन कर रह जायेंगे...,
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