Thursday, 1 January 2015




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कृपया, गौ-वध की तीनों अखबार के रोंगटे खड़े करने वाले पोस्ट पढ़े...,दोस्तों..., बढे दुःख के साथ लिखना पढ़ रहा है कि आज भी देश के किसानों की औसत आय २३०० रूपये प्रतिमाह है..., जबकि सरकारी चपरासी ... १० हजार से ज्यादा वेतन पाने के बावजूद ,चप-चप के राशी चबाते / वतन बेचते हुए , आज करोडपती होने पर पकड़े जाने के बावजूद सरकारी सम्मान से गर्वीत हैं... तो उनके आकाओं के क्या ठाठ होंगें, आप कल्पना नहीं कर सकते है...,
गौ-ह्त्या, भूखमरी से ह्त्या, योजनाओं को भोजनाएँ बनाकर, विश्व के शीर्ष स्थानों में धनाड्यों के सम्मान ,
६७ साल बाद भी ७०% हिन्दुस्तानी है भूखा नंगा, अन्न दाता किसान, सूखे बाढ़ से बेच रहा है...,अपने जीवन के आधार का पशु धन, सत्ताखोरों व माफिया खरीद रहें हैं कौड़ी के भाव किसान का सम्मान

भाग-१, सैनिकों को दंड व तिरस्कार , तस्करों को उड़न तस्तरी के साथ पुरूस्कार, देश को विदेशी मुद्रा के चक्कर में, सत्ताखोरों की जेब भरने से, हमारा देश, विदेशी मुद्रा (संस्कार,आसन, अंग-विन्यास) से देश को डूबा रहें हैं..

भाग-२.., सन १९४७ में, ३० करोड़ जनता पर १२० करोड़ दुधारू पशुधन, २०१४ में १२० करोड़ जनता में ३० करोड़ से कम दुधारू पशु धन, किसान पोषण से है,बेहाल.., सूखा व बाढ़ से वह बना दलालों के शोषण का महाकाल 

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