Sunday, 14 December 2014



अब गिरनार का शेर , जो, बना देश का सिरमौर...,
दुनिया करें गौर , हिन्दुस्तान की हो रही, रोज एक नई.., “उमंगी भोर...,”
अब मोदी की महाराष्ट्र में दहाड़ के साथ ललकार है...
अब मोदी के दहाड़ा से, .., विपक्षी दलों में..., , भविष्य में अपने पिछड़ने का पहाड़ा समझकर अभी से चिंतित हो गए हैं ...,
अब नहीं चलेगी ... ,अब हो रहा खौफ...कि, बुरे दिन आने वालें है...

१. मोदी ने ,महाराष्ट्र की प्रदेश सरकार.., जिसने भ्रष्टाचार से, घोटालों का प्रदेश के ताज से.., देश को मरा राष्ट्र बनाने वाले , भेड़िया खेल वालों को ललकारा है..., जिन्होनें, देशी विदेशी माफियाओं संग , प्रदेश के शेरों का खात्मा कर , अब इन माफियाओं की आत्माओं को जीते जी अपने, ख़त्म होने का खौफ सता रहा है...
२. शहीदों के कब्र की मट्टी से अपने सौ पुश्तों के घर बनाने वाले व उस पर जातिवाद,भाषावाद,अलगाववाद व घुसपैठीयों के रंग रोगन से अपनी सत्ता चमाकाने वालों के चेहरे की रौनक उड़ गयी है...
३. वंशवाद की कंसवादी पीढी .. की यह सीढ़ी गिरने का अपना भविष्य नजर आ रहा है,
४. महाराष्ट्र चुनाव, देशवासियों के लिए मरा- राष्ट्र बनाने के इन Rattel snake –(संगीत वाले साँपों) का संगीत कुर्सी –Musical Chair का फूंककारों से, सत्ता के जहर से, जनता को मारकर, अपार मणि जमा करने का खेल,खेल रहें है ...,
अब,सत्ता के लिए “नाग मणियों” का “मनी पावर” से “नंगा संघर्ष” ख़त्म होंने को है..
५. सभी दलों के प्रधान, मान चुके हैं अपने को मुख्यमंत्री का मान , लोकतंत्र की कुर्सी के चार पाये से, चौपाये के भेष से चल रहा है, कुर्सी खीचने का खेल... (MUSICAL CHAIR... को MUSCULAR POWER से खीचने का खेल...)..का, अब भ्रम टूटने वाला है
६. वंशवाद, भाई – भाई के खेल में लोकतंत्र के झांसे से जनता का जीवन बना खाई – खाई....,
हर दल राजनैतिक जंग की लड़ाई में.., अपने पूर्ण बल के लड़ाई से लगा है..., अब भविष्य के सत्ता के, खाने की मलाई ..., की खैर नहीं, अब होगा इसका ईलाज
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लोकतंत्र को लूट तंत्र के खेल से..,
जनता हैरान , परेशान..,
जागों मराठी माणूस (मराठी आदमी)..., और देश के भावी वोटर
सभी दल सीट बंटवारे को लेकर एक दूसरे का द्रोपदी चीर हरण करने, धौंस देने से लेकर,खुद की गोटी फिट करने की कोशीश में जुटे हुए हैं, जिसमे आम आदमी की लहूलुहान चींखों को सुनने वाला कही नजर नहीं आ रहा है, जबकि सत्ता के महा भोज में खद्दरपोश गिद्धों का रोटी बोटी युद्ध देखकर, जनता न सिर्फ हैरान है बल्कि बदहवास भी है क्योंको आम आदमी के दुखों की जलती चिता की आंच पर उसके रहनुमा , अपने-अपने हिस्से की रोटी सकने में लगा है ..
याद रहे..,पिछले महाराष्ट्र के विधान सभा व लोकसभा चुनावों में दो वंशवाद के सांडों की लड़ाई थी , वंशवाद से दंश वाद के जहर की धुल से मुंबई शहर में घुल, घूल कर अब महाराष्ट्र में छाई थी... अब भाजपा व शिवसेना में दो सांडों की लड़ाई में, शिवसेना के नेता उध्ह्व ठाकरे, अपने को मुख्यमंत्री के उद्भव से स्वंय-भू सत्ता के ऐकाकार का एक्का मान बैठे है..., अब इस ऊटपटांग खेल में किसकी टांग उल्टी फसती है.. और ऊँट किस करवट बैठता है... , 



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