Sunday, 2 November 2014



हिंदुत्व का शेर.., अब बेनकाब...,
सत्ता के छोले में , छोड़ा अपना चोला ,
चचेरे भाइयों के चांदी के चम्मच, के चेहरे की आपसी खन-खन से अनबन..
बी.जे.पी से लड़ने बनाया अपना मन ...
विपक्षी भी गिद्ध दृष्टी से, शिकारी बन...,
सत्ता की कुर्सी को जोड़कर बना रहें थे अपना मन ..

देश में हुद – हुद का तूफ़ान..,
विरोधी करें फरमान.. ,
मोदी क्यों संभाले हैं.., हमारे लिए तीर कमान..,
क्यों नहीं सीमा पर खडें हो रहें..., निशाना तान...
देश के गद्दीदार कहें..,उन्हें गद्दार..,
मोदी ने अब कर दिया उनका नशा उतार,
मोदी की दहाड़ .., दुश्मनो को पछाड़ ..,
दुश्मन व विदेशी ताकतें अब गए उड़..

मोदी की ललकार..,.
जातिवाद, भाषावाद, धर्मवाद,अलगाववाद,घुसपैठीयों के वोट बैंक पर कहर...
जातिवाद, भाषावाद, धर्मवाद,अलगाववाद,घुसपैठीयों के वोट बैंक के राज को लगी ठोकर..,
इसे कहते है मोदी लहर..

अब बी.जे.पी. की सत्ता के एक नई पत्ती.,
बुझा दी विपक्षीयों की बत्ती..
अब लगा रहें हैं अपनी “मृत्य कुर्सीयों” पर अगरबत्ती...
सत्ता के उद्भव के के खेल में लगी ठोकर..,

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