Wednesday, 3 September 2014



,एक शेर की दहाड़ है..., दुश्मनों में भगदड़ है..., 
मोदी जाकर अपने दोस्ती के पान से जापान कायल है...
विरोधीयों कोयल ..व कोयला चोरों की आवाज तो वसंत के महीने में भी बंद है...
मोदीजी तुस्सी ग्रेट हो.., भले ही फ़ुटबाल में हमारा नम्बर १५० देशों के बाद है.., पिछले १० सालों में हम आतंकवाद को रोकने में फिसड्डी देशों में शामिल हों.., आतंकवादी हमारे यहाँ कबड्डी के कबाड़े का खेल खेलकर, वापस चलें जाते है..
लेकिन नयें नवेले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ब्राजील के ब्रिक देशों के समूह में गोल मारकर, अपने स्वाभिमानी गर्जना से सात समुंदरी देशों के सुप्रीमों से विश्व के देशों में हमारी ताकत की झलक दिखा कर, दुनिया में हलचल मचाकर, महाबली देशों के, लूट के खेल बंद होने की आहट से आहत होने से खलबली मची है...
भले ही मानसूनी बादलों की देश भर में गर्जना नहीं हुई है...,लेकिन मोदीजी की गर्जना से विदेशी ताकतों की पेंट पैंट गीली हो गयी है..,अभी दो दिन पहले लद्दाख में हमने चीनी सेना की घुसपैठ को नाकाम कर दिया है,,,
पिछले १० सालों में हमारे प्रधानमंत्री से राजनयिकों ने, जो वार्ता के बहाने पिकनिक- पर्यटन (PICNIC) मनाने गए थे..., और देशवासियों में (PANIC) दहशत से आतंकवादियों को सत्कार से चिकन बिरयानी खिलाकर मीडिया व विदेशी ताकतों से वाहवाही पाते रहे...
देशवासियों के अच्छे दिन तो आने वाले हैं लेकिन विदेशी ताकतों के बुरे दिन आ गए हैं...
देश के आतं कवादियों, अलगाववादियों के वादियों का खात्मा के डर से विरोधी खेमों की आत्मा में हडकंप
वाराणसी बनी मोदी के लिए वार के रण के अस्सी विरोधियों की रस्सी , अब विरोधियों को देश के दूध (संसाधनों) को मथ कर (बेचकर) नहीं पीने को मिलेगी लस्सी..., .
देश के दूध से माखन व अन्य उत्पाद , विदेशी माफियाओं के मंथन से सत्ता को चमकाने के साथ सत्ताखोरों की संपती हजारों गुना बढ़ गयी है
देश के मुठ्ठी भर लोग अपने को विश्व के अमीरों में शुमार होकर , भारत एक विश्व शक्ती का दंभ भरकर .. जनता को भरमा रहें हैं
“मेरा भारत महान” से “भारत निर्माण” के नारों से भ्रष्टाचारी ..., एक-एक वस्त्रों (घोटालों) को पहनकर ,देश की खान, खदान, ईमान बेचकर अपनी सुन्दरता का बखान कर रहें है.
दोस्तों ...आज हमने देश की ६७ वर्षों की जवानी , भाषावाद,अलगाववाद, जातिवाद,धर्मवाद से.., सत्ता परिवर्तन को आजादी की भर मानी से.., सत्ताखोरों ने, अपनी अय्याशी व मौजमानी से.., विशेष मेहमान मानी से.., देशवासियों को एक भ्रम से भेड़ नीती से जनता को भेद कर बर्बाद कर दिया है...
ऊपर से धर्मनिरपेक्षता के हमारे संविधान से..., यदि गौर करें तो इस संविधान की आड़ में विशुद्ध रूप से साम्प्रयवाद को सु-प्रियवाद बनाकर बढ़ावा देकर देश पर राज किया है..
बड़े दुःख के साथ लिखना पढ़ रहा है..., आज देश के ८०% से अधिक हिन्दुस्तानी २० रूपये से कम कमाकर .., आज मेरे देश की तस्वीर, भूखा,नंगा हिन्दुस्थान की बनी है,,,
जागो देशवासियों राष्ट्रवाद की धारा मे आओ और डूबते देश को बचाओं॥ सीमा पार दुश्मन भी चाह रहे है हम आपसी लड़ाई से कमजोर हो जाये ताकि हमे सफलता आसानी से प्राप्त हो..

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