Tuesday, 26 August 2014




,किताबे तो कितने नेताओं ने लिखवाई और अपना हित साधकर देश की सत्ता में काबिज ही नहीं अपने को इतिहास में अमर करने का दांव खेलने का प्रपंच छोड़ गए..., देश का गौरवशाली अतीत का असली इतिहास छुपाकर, हमें बुजदिल कौम व शांती, अहिंसा के झांसे से देश के टुकड़े कराकर.., “बापू...” “महात्मा...”, “आराम हराम है..”, “गरीबी हटाओं”, “मेरा भारत महान” के नारे देने वालों के नाम देश में लाखों, संस्थान,सड़क से गलियारों के नाम से राष्ट्रवाद को धीमे जहर से मारने के खेल से, अपने अमरत्व को मजबूत बनाने का खेल देश में बदस्तूर जारी है...
लेकिन.. वीर सावरकर.....,
एक महान नायक, जिनके बारे में कितना ही लिखा जाय कम है.. जिनके अनेक रूप, विद्वान,तत्व चिन्तक,क्रांतीकारक, लेखक, महाकवि,सर्वोत्तम वक्ता,पत्रकार, धर्मशील, नीतीमान,पंडित मुनि,इतिहास संशोधक, राष्ट्रीत्व के दर्शनकार,प्रवचनकार,अस्पृश्यता निवारक शुद्धीकरण के प्रणेता, समाज सुधारक , विज्ञान निष्ठा सिखाने वाले,भाषा शुद्धी करने वाले पीपी सुधारक,संस्कृत भाषा प्रभु,बहुभाषिक, हिंदुसंघटक,राष्ट्री काल दर्शक के प्रणेता , कथाकार,आचार्य,तत्वज्ञ महाजन, स्तिथप्रज्ञ, इतिहास समीक्षक , धर्म सुधारक,विवेकशील नेता, महानात्मा ,अलौकिक दृष्टा... व कई गुणों से सपन्न ने पांडुलिपी की तरह.. 1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम,शोध व प्रमाण सहित अपने हाथों से इंग्लॅण्ड में लिखी , इस किताब का नाम जाने बिना कभी न डूबने वाले ब्रिटिश साम्राज्य थर्रा गया था, व प्रकाशन के पूर्व ही इस किताब पर प्रतिबंध लगा दिया था ...,
यही किताब थी जिसने देश में क्रांतिकारिता को जन्म दिया
वीर सावरकर की किताब 1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम पढने के लिए दी, भगत सिंह इस किताब से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने इस किताब के बाकी संस्करण भी छापने के लिए सहायता प्रदान की, जून 1924 में भगत सिंह वीर सावरकर से येरवडा जेल में मिले और क्रांति की पहली गुरुशिक्षा ग्रहण की, यही से भगत सिंह के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया, उन्होंने सावरकर जी के कहने पर आजाद जी से मुलाकात की और उनके दल में शामिल हुए| बाद में वे अपने दल के प्रमुख क्रान्तिकारियों के प्रतिनिधि भी बने। उनके दल के प्रमुख क्रान्तिकारियों में चन्द्रशेखर आजाद, भगवतीचरण व्होरा,सुखदेव सुखदेव, राजगुरु इत्यादि थे।

सत्ता परिवर्तन के बाद किताब तो नेताओं ने लिखवाई , और अपना हित साधने के लिए “नेशनल हेराल्ड” अखबार में कांग्रेसीयों ने अपनी स्तुती से जनता को बेवकूफ बनाकर राज किया..,”कौमी एकता” हिन्दी के अखबार ने तो पहले ही दम तोड़ दिया था, अब नेशनल हेराल्ड जो कांग्रेस की सम्पत्ती थी , नीजी सम्पत्ते सम्पत्ती बताकर इसे डकारने का खेल चल रहा है..
आज देश के भ्रष्टाचार के युग में किताबें लिखवाकर.., अपनी स्तुती से, अपनी कमजोरी को छुपाकर नेता लोगों ने भारी रकम कमाई है...,
नटवर सिंग जो कांग्रेस में भ्रष्टाचार का हिस्सा थे अपने पुत्र के कल्याण के आरोप से वे गद्धी न छोडने से वे कांग्रेस की गड्डी (गाड़ी) से गड्ढे में फेंक दिए गए ..
अब प्रतिशोध में किताबी वार शुरू हो गया है..., इन्डियन वर्ग भी इस खेल व प्रकाशन की किताब खरीद कर..., किताब लिखवाने वालों को मालामाल कर देगा...
संजय बारू की किताब में लिखा है..., प्रधानमंत्री, सोनिया गांधी को “सोनियाजी” के नाम से संबोधित करते थे, जबकि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री को सिर्फ “मनमोहन” कहती थी.., और प्रधानमंत्री को किस तरह काठ का पुतला समझकर... शीर्ष नेताओं ने देश पर १० सालों से, अपनी दबंगई से राज किया ...
याद रहे.. भारतीय जनता पार्टी के हनुमान, जसवंत सिंग , जिन्हें किताब छपवाने के आरोप से पार्टी से उनकी शक्ती छीन ली गयी थी .. अब पार्टी से निष्कासित होकर.., जड़ी बूटी न मिलाने से अभी हाल ही मैं जमीन पर गिरकर मूर्छीत हो गए थे...

No comments:

Post a Comment