मोदी लहर का असर..., लालू..., बना लूला और नितीश कुमार..., बना लंगड़ा और अब दोनों आँख में मुस्लिम(M) यादव(Y) की पट्टी बांधकर, नितीश्लाल की नीती से , MY बिहार से चुनाव जीतने का दोनों अंधे ख्वाब देख रहे हैं.
कुर्सी के लिए राजनीति में कोई दुश्मन नहीं होता यह कहावत आज तक हर दल के नेता ने कहा हैं
यदि राजनीतिक दुश्मन से समझौता नहीं होता तो राष्ट्रनीति से समझौता किया जाता है..,.राष्ट्रवाद को डुबो कर, वोट बैंक के सत्ता की नाव से जीवन की नैया बना कर, हर नेता, हर दिन अखबारो में सुर्खिया बना कर उन्नत होते जा रहा है.., और इस आड़ में देश की सूरत-सीरत-सेहत ६७ सालो से सूख गई है...
अभी इस दो-मुंहा नितीश्लाल के मिलन समारोह में २ दिन पहले भारी भीड़ जमाने के जुगाड़ का दावा करने के लिए मीडिया को बुलाया गया..., सिर्फ १५०० लोगों की भीड़ ने नितीश्लाल के चेहरे की हवाई उड़ा दी.., और भीड़ के बीच नीतीश कुमार को भावी मुख्यमंत्री घोषित करने पर अभी से सर फुटव्वल शुरू हो गयी है...
जयप्रकाश नारायण ने तो कहा था, देश में सबसे अधिक खनिज होने के बावजूद बिहार गरीब क्यों.???, इस जीत का रहस्य तो..., खनिज से ज्यादा बिहार में नेताओं के लिए जातिवाद,धर्मवाद के उत्प्रेरक खनिज से.., बिहार भ्रष्टाचार के बहार से गाय भैसों व अन्य जानवरों के चारे से, मुस्लिम यादव के भाई चारे नारे के आड़ २५ सालों तक चारे को डकारकर , प्रदेश के गरीबों को बहाकर.., एकछत्र राज्य करते रहे...,
दिवंगत महान व्यंगकार लेखक श्री हरीशंकर परसाई के १० हजार से अधिक राजनितिक लेख आज भी जीवंत हैं. १९६० के दशक में.., उन्होंने बिहार के बारे में लिखा था, श्रीकृष्ण भगवान् मुझे मिले थे. उन्होंने, कहा मैं बिहार में चुनाव लडूंगा और लोगो को कहूँगा में श्रीकृष्ण भगवान् हूं , मैं आसानी से जीत जाऊंगा .., तब मैंने उनसे कहा आप जब तक यह नहीं कहोगे मैं श्रीकृष्ण “यादव” हूँ , तब तक आप चुनाव नहीं जीत सकोगे. भगवान् और मेरी शर्त लगी भगवान् श्री कृष्णा के विरोध में यादव नाम का उम्मीदवार खड़ा था और वह जीत गया और भगवान् श्री कृष्ण हार गए.
फ़कीर प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को छोड़कर, लिन्होने जय जवान जय किसान की लकीर से देश की एक नई राष्ट्रवादी तकदरी लिखी थी , उनकी ह्त्या कर, देश की राष्ट्रवाद की लकीर/ राष्ट्र-धन को वोट बैंक में परिवर्तित कर इसे गरीबी हटाओ के इमारत से “मेरा भारत महान” से “भारत निर्माण” के महलों में रहकर एक छत्र राज किया..., एक मुंहा वंशवाद ने वोट बैंक की राजनीती से इस देश गरीबी को बढाकर विदेशी हाथों के कर्ज से मर्ज का अधिकार देकर डॉलर ने रूपये को सठीया दिया, मेरा भारत महान से, माफियाओं की नयी पीढी के पौधों का निर्माण को “भारत निर्माण” का नारा दे दिया, बीच-बीच में विरोधी दलों को जो सत्ता प्राप्त हुई, तो बहुमुखा सत्ताखोरों ने अपनी वंश के साम्राज्य को जमाने के राज के ख्वाब से देश को लूटा...
“आराम हराम” के नारे की आड़ में नेहरू ने धर्मवाद,जातिवाद, भाषावाद के गद्दे से ऐय्याशी का जीवन जीया. गरीबी हटाओ के आड़ में इंदिरा गाँधी ने आपातकाल लगाकर, बनाया संविधान हटाओ और राज करो.
अगले चुनाव में “न जात पर न पात पर इंदिराजी की बात पर मुहर लगाओ हाथ पर...,” जनता ने तो इस राष्ट्रवादी नारा समझकर..., इंदिरा गांधी को जीता दिया लेकिन जात पात की राजनीति से.., सत्ता की इस मधुमख्खी ने हर फूलो (गरीबो) को डंक मारकर, सत्ता का शहद पी लिया तो - सत्ता जाने के डर से इंदिरा गाँधी ने आतंकवादियों के हाथ में मुहर मारकर , हाथ से हाथ मिला दिया ताकि वह बाहुबल से सत्ता पर मजबूती से काबिज हो.
इंदिरा गाँधी के शासन में गृहमंत्री रहे, ज्ञानी जैलसिंह ने इंदिरा के आदेश पर खालिस्तान (खाली स्थान) के आतंकवादियों से कहा तुम अपनी सेना बनाओ..., इस आवाज़ के टेप आज भी हमारे ख़ुफ़िया विभाग (“रॉ – RAW”) के पास जीवंत हैं.., .देश की बिंडवना थी कि ज्ञानी जैलसिंह सर्वोच्च पद्द के महामहीम बने जो आतंकवाद के महामुहीम के नेता .., राष्ट्रपति बन बैठे और इंदिरा गाँधी के इस अंधसमर्थक ने, राजीव गाँधी जिन्हें देश का ज्ञान तक नहीं था को प्रधानमन्त्री बना दिया.
राजीव गाँधी ने देश को बीसवी सदी में ले जाने के झांसे से “मेरा भारत महान” के नारे को “मेरा देश का माफिया महान” के कर्मो को सार्थक कर दिया. बोफोर्स घोटाले के श्रेय लेने से पहले वी पी सिंह ने इंदिरा की अग्नि चिता में जब इंदिरा समर्थक नारे लगा रहे थे..., “जब तक सूरज चाँद रहेगा.., इंदिरा तेरा नाम रहेगा..” तब शमशान भूमि में इस राजीव के चाटुकार ने, झांसे में यह कहा कि है मैं नया नारा देता हूँ “जब तक इंदिरा तेरा नाम रहेगा.. सूरज चाँद रहेगा..” और वे राजीव गाँधी के दुसरे श्रेणी के नेताओं में सर्वोच्च रहे.
राजीव गांधी के राजनीति में पकड़ कमजोर ख़तम होने पर वी पी सिंह ने अपने को मिस्टर क्लीन बनाकर बोफोर्स घोटाले को उजागर करने के अपने ईमानदार छवि से अपने को राजीव गाँधी से ज्यादा क्लीन दिखा कर भा जा पा के सहयोग से प्रधानमंत्री बनते ही उन्होंने अपनी सत्ता २५ सालो तक सुरक्षित रखने के लिए दलित कार्ड खेला और बोफोर्स घोटाला कूड़े में दान कर मसीहा बनने के चक्कर में प्रधानमंत्री पद से हाथ धो बैठे....
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