Tuesday, 8 July 2014



क्या आप रूपये के प्राजूद प्रारूप से सहमत हैं..,रूपया के बहुरूपिया..., जोकर (जनता से महंगाई का मजाकर ),विदूषक...,
अधिकतर नौकरशाहों की मिलीभगत के भ्रष्टाचार से प्रदूषक बनाकर...
एक नए अमीरी की पहचान पाई है...,
जब से इस चिन्ह को मान्यता मिली है, देशी विदेशी माफिया व डॉलर से रूपये को कुचलने की खुली छूट मिली है...
गरीबों का पसीना अमीरों का अन्न है..,रूपये से डॉलर अब राहू बनकर, देश का अमृत पी रहा है...क्या आप रूपये के प्राजूद प्रारूप से सहमत हैं..
आज रूपया कर लो दुनिया मुट्ठी के नारों से , मुट्ठी भर अमीरों ने गरीबों को मुट्ठी से निचोड़कर ,, आज इंडिया भ्रष्टाचार का डांडिया खेल रहा है...
देश का अन्नदाता किसान आत्महत्या कर रहा है..., भार-रत , भारतीय , इन भ्रष्टाचारियों माफियाओं के भार से रत होकर, पैसे कमाने का जुगाड़ में लगा है...
इंडिया, INDIA= IN-DIG-GO , आओ देश को खोदों और चले जाऊं (जो टाटा की कार का भी नाम है) ,
और देश के धरती लाल आकाश, खान खदान ,ईमान बेचकर इनाम पा रहा है...,
अब अपने मुट्ठी बल से बलवान हो कर , “भारत निर्माण” के नारों में अपनी सहभागी से देश के गरीबों को भरमा रहा है...
दोस्तों क्या आप सहमत कि रूपये के चिन्ह में अंतिम छोर पर जब तक समानता का चिन्ह न हो, तब तक देश का गरीब तबका और गरीब होते जाएगा.., और देश के अमीर.., गरीबी रेखा का मूल्य कम कर ..देश का उपहास उडातें रहेंगे.... 

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