हिंदुत्व ही विश्व का बंधुत्व है...., आज तक हिंदुत्व
ने गर्दन पर, तलवार रखकर, दुनिया के किसी भी देश
का धर्म परिवर्तन नहीं किया है .....
हिंदू यह शब्द बाहरी नही, प्राकृतिक है, हमारा ही है, यह
समझाने वाले पहले विद्वान परमवीर सावरकर ही थे ,
उन्होने प्रमाण सहित सिद्ध किया कि हिदू यह शब्द
मोहम्मद पैगंबर के हजारों साल पूर्वौपयोग मे
लाया गया, पारसिक आर्याओ की अवस्था मे हमारे
राष्ट्र को – ‘हप्तहिंदव’ - ऐसे कहा जाता था , हिंदू, यह
शब्द राष्ट्र का वाचक है, वो किसी धर्मग्रंथ, अवतार व
देवता के नाम से निकला हुआ नही है, यह कहने वाले एक
मात्र वीर सावरकर थे ...
मार्च १९९५ में महाराष्ट्र में शिवसेना - भारतीय
जनता पार्टी ने हिंदुत्व के मुद्दे से अपनी सरकार बनाई
तो, जो विरोधी दल धर्मनिरपेक्ष का डंका बजा रहे थे ,
उन्होंने, सुप्रीम कोर्ट में, हिंदुत्व शब्द
को साम्प्रदयिकता का वाचक कह कर चुनौती दी, और
कहा.. महाराष्ट्र सरकार साम्प्रदायिक व असंवैधानिक
है.. इसे तुरंत बर्खास्त किया जाय. तब सुप्रीम कोर्ट
को हिंदुत्व शब्द की व्याख्या को स्वीकारना पड़ा है ,
सावरकर के उदगार को सही ठहराया , और विपक्षी दल
भी खाली हाथ मलते आये.....
इसका निचोड़ यही है कि “हिंदुत्व” शब्द देश की माटी से
जन्मा व जुड़ा है.
क्या आपको मालूम है..?? ""सारे ज़हा से
अच्छा हिन्दोस्ता हमारा..., जो गीत, हम बड़े जोश के
साथ गाते है, इसके कवि इकबाल भी पाकिस्तान बनाने
के पक्ष मे थे...???, जो एक गद्दार साबित हुआ ..???
जिसकी मृत्यु 1943 मे हुई....,
राष्ट्रवादी शब्द को सार्थिक करने वाले...., मुहम्मद
करीम छागला जिनके शब्दों व प्रयासों का अतुल्यनीय
जोड़ है., जब वे जनता पार्टी के शासन काल (१९७७) मे,
मानव संसाधन मंत्री थे, तब उन्होने अलीगढ मुस्लिम
युनीवर्सीटी मे हिंन्दु कुलपति व बनारस हिन्दु
युनीवर्सीटी मे मुस्लिम कुलपति नियुक्त किया था,
है..???,
है...????????, आज कोइ माई का लाल ...., आज
की राजनिती में इस तरह का साहस करने वाला ...???, ,
जो आज धर्मनिरपेक्षता का नगाड़ा बजाकर,
सत्ता हथिया कर , आज इस प्रपंच से अलगाववाद,
भाषावाद, जातिवाद व विदेशी घुसपैठीयों से, अपने वोट
बैंक से, देश को तोड़ने की साजिस कर रहें हैं...????
मुहम्मद करीम छागला जो जिन्ना का दायाँ हाथ हुआ
करते थे , जब जिन्ना द्वारा अलग पाकिस्तान की मांग
की, तो ...इसके विरोध में, वे जिन्ना के दुश्मन बन गये,
मुहम्मद करीम छागला हमेशा मुस्लिमो से कहते थे..., तुम
पहले हिन्दुस्तानी हो, बाद मे मुसलबान, हिन्दुओ का खुन,
आप मे है, इसलिए सभी धर्मो से भाई चारा रखो...,
राजनेताओ की कठपुतली मत बनों...??
उन्होने बोम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहते हुए, हर
धर्म के लोगों को समान निर्णय दिया, यहँ तक
की जवाहरलाल नेहरू की भी भ्रष्टाचार के जांच में
उनका पायजामा खोल दिया था , बिना राजनैतिक
दबाव से....जय हिंद....वन्देमातरम.. राष्ट्रवाद
जयते ..
ईस्ट इंडिया कंपनी ने वर्ष 1818 में ही जान लिया था कि हिंदुत्व की धार , जीवन की धारा है ...उसका प्रमाण ये १८१८ के सिक्के है...,
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