Thursday, 31 July 2014



अधिकतर सरकारी कर्मचारी , देश की बीमारी, ६७ सालों की महामारी , जो देश का जमाई मानकर कर रहें हैं ऊपर की कमाई, और पेंशन से बिना टेंशन का जीवन.., फाईलों में में रूपये के पहिये से फर्राटेदार जीवन का मजा, ६ वाँ ..७ वेतन आयोग कर रहा है पैसे की बौछार .., जनता इस रवैये से बीमार,
इनके कलम की धार.., जो राष्ट्रवादियों के जीवन को भी लटका दे मझधार ..., माफियाओं के उन्नत जीवन को बनाने में सदाबहार..,
आज चपरासी भी , देश का इम्प्रैशन का सरकारी वासी भी चप –चप कर, करोड़ों के नोट छाप कर हो रहा गिरफ्तार, तो उसके आकाओं के जीवन कितना है... लज्जतदार, और देश में इज्जतदार, क्योंकि उन्हें है सरकारी योजनाओं को डकारने का अधिकार..
इनके कलम की काली स्याही से क़ानून भी करें सत्कार...
क़ानून (कान+उन ऊन ) भी कान में उन डालकर तारीख पर तारीख देकर , माफ्याओं के कर्मों की तारीफ़ कर करे सत्कार,और आम आदमी के जीवन को तकलीफ से तकलीफ कर क़ानून करे बलात्कार (बलपूर्वक न्याय न देने का अधिकार)
१९४७,सत्ता परिवर्तन के बाद सरकारी कर्मचारी बनाए गए वतन के अधिकारी.., आराम हराम के नारों से साइकिल घोटालों से सराकरी कर्मचारियों ने बनाया नेहरू को माना भ्रष्टाचार के स्वागत से आभारी ..., तो क्योंन हो मंत्रालय इस मंत्र से बनें भ्रष्टाचारकी फुलवारी...
अब ६७ सालों बाद, यह फुलवारी बदलकर..., बरगदी पेड़ बनकर २०० से अधिक सालों की भ्रष्टाचार की फसल मानकर , इसकी डाली में झूले झूल कर फूले नहीं समा रहें है..., अभी तो सावन की रिमझिम बारिश है..., इनके जीवन में तो १२ महीनों ..., भ्रष्टाचार की बारिश से कर्मो के दाग धुलते रहतें है..,

दोस्तों.. , अभी वेंकटया नायडू , जो अपने मंत्रालय में गए तो उनके विभाग के कर्मचारी भागे पाए गए थे.., बिना काम के मुफ्त पगार , क्योंकि मंत्रालय है दिलदार.., तो क्यों न हो मौज की बहार.., अपनी लूंगी पकड़ते हुए , सिर्फ एक फरमान जारी किया कल से मेरे दफ्तर में १५ मिनट बाद हाजरी का रजिस्टर हटाने के साथ , इस मामले को रफा दफा कर , अपने कार्यालय से दफा हो गए...,
याद रहे मनमोहन सरकार के कार्यकाल में , चिदम्बरम ने अपने मंत्रालय में कर्मचारियों के लेट लतीफी पर कंप्यूटर की मशीन लगाई, बाद में खराबी का बहाना बना कर , कर्मचारियों को पूरा वेतन दे दिया...,

दोस्तों विश्व के छोटे-छोटे देश जो विश्व मानचित्र में ढूँढने पण भी नहीं मिलते हैं,,म उनकी भौगोलिक हमारे देश की तरह नहीं है..,वे विश्व के उन्नत व अमीर देशों में शुमार हैं , राष्ट्रवादी भावनाओं से ओत –प्रोत होकर, ओलम्पिक के मानचित्र व अन्य खेलों में छायें हैं..
उनके सरकारी कर्मचारी की कार्य में उन्नता ,दक्षता व देश के प्रति समर्पित व जनता भी इससे प्रेरित होकर, राष्ट्रवादी कन्धों से अपने बाहुबल से प्रगति कर रही है,,,
आज ऐसे देश, हमें तकनीकी का ज्ञान देकर, हम हम अपनी मुर्खता खरीदकर..., रूपये का अवमूल्यन कर डॉलर को सम्मान दे रहें हैं....
जागो देशवासियों हम राष्ट्रवाद की धारा मे आकर.., डूबते देश को बचायें ॥ सीमा पार दुश्मन भी चाह रहे है हम आपसी लड़ाई से कमजोर हो जाये ताकि हमे सफलता आसानी से प्राप्त हो..

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