न मैं खाता हूं , न खाने देता हूँ..., राष्ट्रवाद के गीत गाता हूं , अब मेरे मंत्रियों में भी भ्रष्टाचार के भाई- भतीजावाज के जन्त्रीयों की खोज कर दबोचने की ताकत रखता हू ,
मेरी आसमानी गगन की उड़ान में.., जमीन पर भ्रष्टाचारी चीटियों से अलगाववादी, घुसपैठीयों पर भी नजर रखता हू ...,
१०० दिन की नजर से.., अब मन मौजी मंत्री पर हर दिन नजर व खबर रखता हूं , सत्ता जनता को न सताए इसका गुमान रखता हूं ..,
फाईलो, को फैला कर , भ्रष्टाचार के थैला बनाकर , देश को मैला बनाने वाले अधिकारी को,,. धिक्कारी बनाकर , राष्ट्र का प्रहरी बनकर , देश को हरा-भरा कर.., गरीबों की मेहनत को सम्मान देकर उनका जीवन उन्नत करने का जज्बा रखता हूं मैं ....
मैं भारतमाता के वैभव को भव्यशाली बनाकर, देश को गौरवशाली से विश्वगुरू के नए युग की शुरूवात का संकल्प लेकर, अपने ध्येय को पूरा करने का माद्दा रखता हूँ....
मिडिया… पेट भरकर , पेड मिडिया से.., देश का 420 वा नही देश का चौथा स्तंभ बनो….. पेट भरकर , एक कुत्ते के पिल्ले को कुचलने के बयान से, देश के विशेष सम्प्रदाय से जोड कर , वोट बैंक की आड मे, चुनाव तक धर्मवाद का सुअरपना मत फैलाओ …????
इस देश में पत्रकार , पुत्रकार बनने से पहले पतन कार बन गये. .. नौकरसाही अपने सुख के लिए. , देश का इमान बेचते चले गये. …. न्यायसाही के हाथ काँपते – काँपते , अब कलम की स्याही सूख गई.. .. और इस स्याही के सूखने से देश मे , भ्रष्टाचार की बाढ आई ..?? अब इस व्यवस्था को ठीक करने का बीड़ा उठाता हूँ, मैं..
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