मोदी सत्ता के लिए मोदक नहीं , भारतमाता के रक्षक है..., सत्ता परिवर्तन (१९४७) से आज तक इस सख्स ने अपने बाहुबल से एक सुनामी लहर से वंशवाद , जातिवाद , भाषावाद को दरकिनार करते हुए एक राष्ट्रवादी लहर पैदा कर ...., भारतमाता को गर्वीत कर दिया है...
आज तक देश इंदिरा गांधी व राजीव गांधी के ह्त्या के बाद सहानुभूति लहर आयी थी ...
मोदी की यह लहर राष्ट्रवाद की अनुभूति की लहर है..., मोदी ने देशवासियों को एक बड़ा सन्देश दिया है ..., (मैं) अकेला क्या नहीं कर सकता हूँ ...
देशवासियों को सन्देश है की राष्ट्रवाद में १+१=११ , १+१+१ =१११ , १+१+१+१+१= १११११ , यदि देश की जनता राष्ट्रवादी बने तो हम विश्व में सिरमौर बनेगे... , हमारे १ रूपये की किमत ६० डॉलर होगी , देश विश्व गुरू का तमगा पुन: हासिल करेगा
मोदी ने तो, देशवासियों को कांग्रेस के पंजे से तो मुक्त कर दिया है..., लेकिन भारतीय जनता पार्टी के पांच अंगुलिया अपने अटपटे बयानों से अपने को चुनाव के पहिले ही सत्ता की कुर्सी में बैठे होने का आनन्द मान चुके है...., आज चुनाव प्रचार से गायब है..., अपने को सत्ता का मोदक समझ बैठें हैं...,
मैं तो मोदी की प्रतिभा का कायल हूँ, लेकिन कहीं ये पांच उंगलिया ... मोदी के लिए पंजे की भूमिका में , मोदी को दबोचने का खेल न खेलें ....
आज देश १. वोट फॉर इंडिया, २. मोदी सरकार, इस बार, ३. वोट फॉर बी जे पी, तो अपने तीसरे चरण में है
विपक्षी दल भी मोदी का लोहा मान चुके है..., अपने अस्तित्व को बचाने की रणनीती बनाने के ताने बाने बुन रहें है...
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