Friday, 28 March 2014



न बाप बड़ा न भैया , सत्ता से रूपये की माया, बनकर करें हुंकार से जनता को डराकर, देश का माल कर लें डकार, 
चुनाव से पहले हर उमीदवार, उम्मीद के द्वार से साधु बनकर जनता से वोटों की भीख माँगता है, बाद में शैतानी चाल से जनता को भ्रष्टाचार झूठी योजनाओं से लूटकर जनता का उपहास उडाता है..., बिहार में तो लालू के भ्रष्टाचारी के शैतानी गुण से साला साधु, सत्ता में भागीदारी न मिलने से अब शैतानी भाले से लालू के वंशवाद को खत्म कने की तैयारी में है.. बेटी मिसा को सही दिशा दिखाने के लिए चाचा, सत्ता की चासनी का तोड़ निकालने के लिए भा.ज.पा. से भाला फेंक रहें है...अब लालू को सत्ता से सर मुड़ाने पर (चुनावी रोक), रिश्तेदारों के भाले के ओले पड़ रहें है.. क्या करें राबड़ी को सता की देवी बनाकर इतना न खीचें कि सत्ता के तिलस्म की रबड़ ही टूट जाए 

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