देश का मंत्रालय बना मूत्रालय, (PMO –प्रधानमंत्री कार्यालय ) बना.... पॉकेट मनी ऑफिस और देश का चोरालय....से देश को बना रहे है भ्रष्टाचार का शौचालय..????????????,
दोस्तों , सत्ता के यह मंत्र है.... भूख, फूख, फूंख ,थूक, थूककर, चाटकर ,चुनाव के पहिले.... जनता को भारत का भाग्य विधाता बताकर, चुनाव के बाद..... जनता से कहते है.... “तेरा मेरा क्या है.. नाता ??? क्योंकि भ्रष्टाचार, हमे है भाता ...” इस सिद्धांत से संविधान की दुहाई देते कहते है , हमारे सब “माफिया, अलगाववादी ,घुसपैठी, धर्मवादी, हैं ... सत्ता के लूट के भ्राता {भाई-भाई}...”
प्रधानमंत्री की, आज के फूक को उड़ाने की इतनी शक्ति है ...वे देश को भी उड़ा सकते है (आतंकवाद से – देश की सीमा पर जवानों के हाथ बांधकर, सिर कटवाकर, विदेशी धन की भीख मांगकर , देश के टुकड़े करने का गंभीर ख़तरा बना है) .
अभी सिचाई घोटाले के भ्रष्टाचार में, भ्रष्टाचार के महाभीम शरद पवार के भतीजे, जो महाराष्ट्र के भ्रष्टाचार से छोटा भीम मंत्री... अजीत पवार के नाम से जो, जाने जाते है.. ने विदर्भ के सूखा पीड़ित श्रेत्र के दौरे के दौरान किसानों का उपहास उपहास उड़ाते हुए कहा था , यदि मेरे पेशाब करने से सूखा गायब होता है तो.... मै पेशाब करने के लिए तैयार हूँ.....,
महाराष्ट्र में २० लाख करोड़ के अधिक घोटालो से , जब मंत्रालय में मूत्रालय की असहनीय बदबू आने लगी तो, इसे अचानक लगी आग कहकर, जनता को भरमाकर, महाराष्ट्र के घोटाले से सभी मंत्रियों के पाप जल गए , इसमें ८० हजार करोड़ का सिचाई घोटाला , लवासा में गैर कानूनी निर्माण का २ लाख करोड़ व , गरीबों के घर देने के माफिया व सत्ताखोरों के मिली भगत के कागजाद भस्म हो गए, मंत्रालय में लगे संविधान के शेर की उभरती मूर्ती भी इस आग में झुलस गयी , यह तो नेताओं को अक्ल आयी कि, आग के दौरान तिरंगा झंडा उतार लिया
आज सत्ताखोर, जनता को अपनी पैरों की जूती समझते हुए , गरीबों के जीवन को आम जनता के नाम से, उनके जीवन को रौदते हुए, अपने शरीर में शक्ति का संचार कर , आज गली, मोहल्ले, शहर , जिले से प्रदेश व देश का मुस्टंडा नेता जनता को चुनौती देते हुए कहता है ..इस खेल में हमें .रोक सके तो रोक लो...तुम तो अनेक हों...????
जनता अपने को अकेला समझकर सोचती है कि, मै तो... घास का तिनका हूँ, ये सत्ताधारी, तो जानवरों से भी गए गुजरे , भ्रष्टाचार के विशालकाय प्राणी है, कहीं मै और मेरा परिवार को इनके पैरों तले रौदा न जाऊ , इससे वह अपने को, बचाने में लगा है.
१. *****भूख ... सत्ताखोर , पेपर पर योंजनाओं को भोजनायें, बनाकर उस पेपर को चाट कर अपनी भ्रष्टाचार की भूख मिटाता है, और जनता को पता भी नहीं चलता है
२. *****फूख ....***** पेपर चाटने के बाद सताखोर, योजनाओं के पेपर, फूख मारकर उड़ा देता है
३. *****फूंख...... सत्ताखोरों के फूक से , जब भ्रष्टाचार के चाट कर उड़े हुए पेपर जनता के पास पहुँचते है , भ्रष्टाचार को चाटने के बाद कुछ चिन्ह उन पेपरों में जनता को मिलते है , तो जनता के बवाल के पहिले ही, इस पेपर को सत्ताखोरों द्वारा फूंख / जला, दिये जाते है.
३. *****थूक ... जनता द्वारा प्रश्न उठाने पर, सत्ताखोर... जनता पर थूकते हुए कहता है – तुम्हें तो अनेक हो.... जो करना है करों , हमारे पास , नौकरशाही , जज शाही व डंडे वाले पुलिस की भारी भरकम फ़ौज है
४. *****चुनाव के पहले... वही नेता जनता पर लगे अपने थूक के दाग, जनता के घर-घर जाकर चाटता है , उनके प्रशंसित कर कहता है , आप ही देश के भाग्य विधाता हो , मुझे सत्ता में चुनकर भेजो , मै तुम्हारी हर समस्याओं का निदान कर, एक ऐसा हिंदुस्थान बनाऊगा..??? जहां गम नहीं.. खुशी के फूल लगाऊँगा, कहकर जनता की आँखों में धुल झोककर, अपने १०० पीढी के भ्रष्टाचार के बाग़ बनाता है.
५. *****चुनाव के बाद ....नेता..., नगर, जिला से शहर, प्रदेश, व देश तक का सेवक कहलवा कर ..., अपनी पद पर रहते हुये , भक्षक बन कर, वह न तो संवैधानिक भवन में उपस्थित होटा है , और न तो जनता के बीच होता है... (नगर निगम ,विधान भवन व संसद से गायब होकर).. वह तो भ्रष्टाचार के भव सागर में गोते लगाकर भ्रष्टाचार का पानी पी जाता है... अपनी १०० पीढी के लिए अय्याशी के बाग़ बनाटा है
६. *****चाणक्य ने कहा था , “राजनेता..... एक मछली की तरह है , तालाब से समुन्द्र तक की मछली मुंह तो हिलाती है, लेकिन वह कितना पानी पीती है, किसी को पता नहीं चलता है”
७.*****जनता द्वारा शोर मचाने पर वह कहता है “तेरा मेरा क्या है नाता...?? , हमें तो है... भ्रष्टाचार भाता , देशवासियों यह डूबते देश की कहानी है, यह सताखोरों की जनता के लिए एक लोरी है...??? ताकि जनता गहरी नींद में सोये रहें...जागो देशवासियों ....डूबते देश को राष्ट्रवाद की धारा से... देश को बचाओ - कैलाश तिवारी Visit: my, one man army websitehttp://meradeshdoooba.com/ Please see on Laptop/Desktop — with Yogesh Soni, Shreyas Ys,जितेन्द्र पाठक and 42 others.
दोस्तों , सत्ता के यह मंत्र है.... भूख, फूख, फूंख ,थूक, थूककर, चाटकर ,चुनाव के पहिले.... जनता को भारत का भाग्य विधाता बताकर, चुनाव के बाद..... जनता से कहते है.... “तेरा मेरा क्या है.. नाता ??? क्योंकि भ्रष्टाचार, हमे है भाता ...” इस सिद्धांत से संविधान की दुहाई देते कहते है , हमारे सब “माफिया, अलगाववादी ,घुसपैठी, धर्मवादी, हैं ... सत्ता के लूट के भ्राता {भाई-भाई}...”
प्रधानमंत्री की, आज के फूक को उड़ाने की इतनी शक्ति है ...वे देश को भी उड़ा सकते है (आतंकवाद से – देश की सीमा पर जवानों के हाथ बांधकर, सिर कटवाकर, विदेशी धन की भीख मांगकर , देश के टुकड़े करने का गंभीर ख़तरा बना है) .
अभी सिचाई घोटाले के भ्रष्टाचार में, भ्रष्टाचार के महाभीम शरद पवार के भतीजे, जो महाराष्ट्र के भ्रष्टाचार से छोटा भीम मंत्री... अजीत पवार के नाम से जो, जाने जाते है.. ने विदर्भ के सूखा पीड़ित श्रेत्र के दौरे के दौरान किसानों का उपहास उपहास उड़ाते हुए कहा था , यदि मेरे पेशाब करने से सूखा गायब होता है तो.... मै पेशाब करने के लिए तैयार हूँ.....,
महाराष्ट्र में २० लाख करोड़ के अधिक घोटालो से , जब मंत्रालय में मूत्रालय की असहनीय बदबू आने लगी तो, इसे अचानक लगी आग कहकर, जनता को भरमाकर, महाराष्ट्र के घोटाले से सभी मंत्रियों के पाप जल गए , इसमें ८० हजार करोड़ का सिचाई घोटाला , लवासा में गैर कानूनी निर्माण का २ लाख करोड़ व , गरीबों के घर देने के माफिया व सत्ताखोरों के मिली भगत के कागजाद भस्म हो गए, मंत्रालय में लगे संविधान के शेर की उभरती मूर्ती भी इस आग में झुलस गयी , यह तो नेताओं को अक्ल आयी कि, आग के दौरान तिरंगा झंडा उतार लिया
आज सत्ताखोर, जनता को अपनी पैरों की जूती समझते हुए , गरीबों के जीवन को आम जनता के नाम से, उनके जीवन को रौदते हुए, अपने शरीर में शक्ति का संचार कर , आज गली, मोहल्ले, शहर , जिले से प्रदेश व देश का मुस्टंडा नेता जनता को चुनौती देते हुए कहता है ..इस खेल में हमें .रोक सके तो रोक लो...तुम तो अनेक हों...????
जनता अपने को अकेला समझकर सोचती है कि, मै तो... घास का तिनका हूँ, ये सत्ताधारी, तो जानवरों से भी गए गुजरे , भ्रष्टाचार के विशालकाय प्राणी है, कहीं मै और मेरा परिवार को इनके पैरों तले रौदा न जाऊ , इससे वह अपने को, बचाने में लगा है.
१. *****भूख ... सत्ताखोर , पेपर पर योंजनाओं को भोजनायें, बनाकर उस पेपर को चाट कर अपनी भ्रष्टाचार की भूख मिटाता है, और जनता को पता भी नहीं चलता है
२. *****फूख ....***** पेपर चाटने के बाद सताखोर, योजनाओं के पेपर, फूख मारकर उड़ा देता है
३. *****फूंख...... सत्ताखोरों के फूक से , जब भ्रष्टाचार के चाट कर उड़े हुए पेपर जनता के पास पहुँचते है , भ्रष्टाचार को चाटने के बाद कुछ चिन्ह उन पेपरों में जनता को मिलते है , तो जनता के बवाल के पहिले ही, इस पेपर को सत्ताखोरों द्वारा फूंख / जला, दिये जाते है.
३. *****थूक ... जनता द्वारा प्रश्न उठाने पर, सत्ताखोर... जनता पर थूकते हुए कहता है – तुम्हें तो अनेक हो.... जो करना है करों , हमारे पास , नौकरशाही , जज शाही व डंडे वाले पुलिस की भारी भरकम फ़ौज है
४. *****चुनाव के पहले... वही नेता जनता पर लगे अपने थूक के दाग, जनता के घर-घर जाकर चाटता है , उनके प्रशंसित कर कहता है , आप ही देश के भाग्य विधाता हो , मुझे सत्ता में चुनकर भेजो , मै तुम्हारी हर समस्याओं का निदान कर, एक ऐसा हिंदुस्थान बनाऊगा..??? जहां गम नहीं.. खुशी के फूल लगाऊँगा, कहकर जनता की आँखों में धुल झोककर, अपने १०० पीढी के भ्रष्टाचार के बाग़ बनाता है.
५. *****चुनाव के बाद ....नेता..., नगर, जिला से शहर, प्रदेश, व देश तक का सेवक कहलवा कर ..., अपनी पद पर रहते हुये , भक्षक बन कर, वह न तो संवैधानिक भवन में उपस्थित होटा है , और न तो जनता के बीच होता है... (नगर निगम ,विधान भवन व संसद से गायब होकर).. वह तो भ्रष्टाचार के भव सागर में गोते लगाकर भ्रष्टाचार का पानी पी जाता है... अपनी १०० पीढी के लिए अय्याशी के बाग़ बनाटा है
६. *****चाणक्य ने कहा था , “राजनेता..... एक मछली की तरह है , तालाब से समुन्द्र तक की मछली मुंह तो हिलाती है, लेकिन वह कितना पानी पीती है, किसी को पता नहीं चलता है”
७.*****जनता द्वारा शोर मचाने पर वह कहता है “तेरा मेरा क्या है नाता...?? , हमें तो है... भ्रष्टाचार भाता , देशवासियों यह डूबते देश की कहानी है, यह सताखोरों की जनता के लिए एक लोरी है...??? ताकि जनता गहरी नींद में सोये रहें...जागो देशवासियों ....डूबते देश को राष्ट्रवाद की धारा से... देश को बचाओ - कैलाश तिवारी Visit: my, one man army websitehttp://meradeshdoooba.com/
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