यह F.D.I. नही, FAKE DEVELOPMENT OF INDIA है...??????????
रूपये को कुचलाकर... डॉलर, सत्ताधारियों व विदेशी बैकों की
झालर ( बल्बों की लड़ी) बनकर चमक रही है विदेशीयों को देशवासियों का परमात्मा
साझाकर , देश के मंदी मोहन ने एक मंत्र फूंखा है...??,
जिसहे हर गरीब भूखा है.....????????
सताधारी अब, अलगाववाद,जातिवाद,
धर्मवाद, भाषावाद, घुसपैठीयों
के वोट बैंक के जाली नोटों से , मदमस्त हो कर , देशवासीयों को ‘भारत निर्माण के एक अफीमी नारों से,
अपने कर्मो के ढके चादर पर F.D.I. से फूल
बरसवाकर, बखान कर कह रहे हैं...????, बहारों
(F.D.I.)...., अब और फूल बरसाओ... ताकि हमारी बदबू जनता को
मालूम न पड़े ...?????,
दोस्तों... देश कर्ज के बदबू से ग्रसित है , आओ इस बदबू को राष्ट्रवाद की
खूश्बू से महकाएँ, व डूबते देश को बचाए ....?????
No comments:
Post a Comment