Monday, 5 August 2013



हे माँ , तेरा वैभव अमर रहे......., आप घर की नही, देश की भारतमाता हो... वन्देमातरम... तुम्हे शत: शत: प्रणाम........
माँ, तेरा प्यार दिल के आँसुओ से भरा रहता है, तुम्हारा दिल तो वात्सलय से 24 घंटे धडकता.. है... हर दु:ख पहुचाने वाले पति से बच्चे हर सख्श तक को आप माफ कर देती हो.. तकि आप की आँसू से वे अपने गलती का अहसास समझ कर प्रायश्चित (सुधर सके) कर सके, माँ , आप तो, सौ बार अपने आँसुओ से मौका देती है....माँ तेरे आँसु सागर से भी गहरे है. लेकिन तेरे सागर के आँसु तो लोगो को जीवन मे कैसे तैरना है, वह सिखाती है...आज तक तेरे आँसु के सागर कोई भी डूबा नही है...क्यो कि इसमे वात्सलय का नमक है..

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