Tuesday, 27 August 2013



देशवासियों का दिवाला बना, सत्ताखोरों व माफियाओ का निवाला...????
प्याज , शक्कर व अन्य खाद्यानों को पहले से ही , निर्यात कर, कृत्रिम तेजी बनाकर, केद्र के मंत्री का बयान आता है , अब कीमतें नीचे नही आएगी ,अब, जनता को अगले मानसून तक का इंतजार करना पड़ेगा...???
इस बयान से खाद्य बाजार के माफियाओ मे ईंधन भर जाता है..., जिससे, मंहगाई को रॉकेट से भी तेज भगाने का बल मिलता है
आज के , भ्रष्टाचार का रॉकेट का प्रक्षेपण इतना अचूक है कि, आज तक इनका एक भी रॉकेट फेल नही हुआ है....???, जबकि , श्रीहरीकोटा व देश के अन्य भागो से इसरो के रॉकेट कभी कभार फेल होते रहे है, इससे यह संदेश के साथ दर्शाता है, कि, भ्रष्टाचारी माफिया के रॉकेट, एक-एक नए प्रयोग व भ्रष्टाचार के अनुसंधान से, इसरो के रॉकेट से भी.... और उन्नत बनाकर देशवासियों की कमाई , इस रॉकेट के ईंधन मे फूंक- फूंक कर उड़ाई जा रही है
खाद्य सुरक्षा बिल तो…?????, अब एक नए तोहफे के रूप मे, भ्रष्टाचारी माफिया को सौगात के रूप मे आ रहा है, याद रहे ... बार बार सुप्रीम कोर्ट


 के फटकार के बावजूद , सरकार ने , अनाज मुफ्त बांटने से इंकार कराते हुए... इसे सड़ाते हुये , शराब माफियाओ को सस्ते दरो से बेचकर, शराब से भारी अनधिकृत मुनाफे का खेल खेला गया है, उत्तर प्रदेश मे मुलायम सिंग सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के खेल मे, मुलायम राज के 2 लाख करोड़ के खाद्यान घोटाले मे सीबीआई ने छापे मारे थे , यह घोटाला ,वर्ष 2003 में सामने आये खाद्यान्न घोटाले की परतें तब खुलनी शुरू हुई जब जन वितरण प्रणाली के माध्यम से गरीबों और बीपीएल कार्ड धारकों को बांटा जाने वाला लगभग 35 हजार करोड रूपये का खाद्यान्न गरीबों तक नहीं पहुंचा और इसमें से लगभग 60 लाख रूपये के मूल्य का अनाज नेपाल और बांग्लादेश की सरहदों पर तरस्करी की कोशिश में पकडा गया। आज इसी घोटाले की आड़ मे सरकार ने सीबीआई से कटवाने का झांसा देकर, अब लगभग 5 साल का शासन काल पूरे करने जा रही, देश बर्बाद हो रही है जनता सो रही है और माफिया दिन के लूटेरे बनकर देश को लूट रहे है- कहानी दर्दनाक है... जागो देशवासियो , माफिया देश चुग रहे है ....दुश्मन सीमा पर घात लगाए बैठें है...सत्ताधारी अगले चुनाव मे, जनता को चूना लगाने की तैयारी मे ...अलगाववाद, जातिवाद,धर्मवाद, विदेशी घुसपैठियों के समीकरण से, देश को बर्बाद कर, भ्रष्टाचार से आबाद होने की बाट जोह रहे है... कैलास तिवारी 

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