भाग महंगाई भाग ...??? मिल्खा सिंह से कई गुना तेज भाग ....??????????
देश के माफिया सत्ताधारियों के मिली भगत से , प्याज के साथ, जनता से देश का व्याज भी वसूल रहे है....
गरीबो के आँसू से से भ्रष्टाचारी बने धांसू ....... ???????????????????????
डॉल्रर...., देशवासियों पर बरसाने लगा है , पत्थर ... और कहा रहा है...??? सनम , अब तुम्हें इस मार से न छोड़ेंगे हम...
गरीबों के आँसू समन्दर (समुद्र) मे तब्दील हो गये,
जिसमे, वे, अपने भष्टाचार के काला धन का जहाज पश्चिम देशो की ओर, चल पडे,
गरीब अपने ही आसूओं मे जब डूबने लगे.,
आम आदमी के रहनुमा कहने वालो के हाथ थामने पर
उन्होने हँसते हुए, विदेशी हाथों के दस्ताने छोड दिए
लोकतत्र की आड मे वे भ्रष्टाचार के दिवाने निकले
और एक गुलामी के अफसाने छोड गये,
इंडिया को इन डिग (अंदर तक खुदाई) करते गये
अपने काले कारनामो को, अदालतो मे विदेशी दस्ताने निकाल कर साफ हाथ दिखाकर कानून को बेवकूफ बनाते गये
भारत के नाम पर हम पर भार छोड गये
अन्नदाता किसानों के दर्द व जवानों के जज्बों को भुलाते गये
आरक्षण,अलगाववाद,जातिवाद,भा षावाद के बैसाखी से देश को चलाते रहे
आतंकवादियो के धमाको से, उन्हें (आतंकवादियो को) बिर्यानी खिलाकर, देशवाशियों को बरगलाते रहे
जो जनता को गरीबों का अपना पनहा कहते थे , वे बेगाने निकले,
जादू की छडी की लाचारी बताकर, महँगाई के कोडे चलाते रहे
हम अपने आसूँओ से तो डूबे सनम,वे तो देश को भी डूबाते चले गये
देश के माफिया सत्ताधारियों के मिली भगत से , प्याज के साथ, जनता से देश का व्याज भी वसूल रहे है....
गरीबो के आँसू से से भ्रष्टाचारी बने धांसू ....... ???????????????????????
डॉल्रर...., देशवासियों पर बरसाने लगा है , पत्थर ... और कहा रहा है...??? सनम , अब तुम्हें इस मार से न छोड़ेंगे हम...
गरीबों के आँसू समन्दर (समुद्र) मे तब्दील हो गये,
जिसमे, वे, अपने भष्टाचार के काला धन का जहाज पश्चिम देशो की ओर, चल पडे,
गरीब अपने ही आसूओं मे जब डूबने लगे.,
आम आदमी के रहनुमा कहने वालो के हाथ थामने पर
उन्होने हँसते हुए, विदेशी हाथों के दस्ताने छोड दिए
लोकतत्र की आड मे वे भ्रष्टाचार के दिवाने निकले
और एक गुलामी के अफसाने छोड गये,
इंडिया को इन डिग (अंदर तक खुदाई) करते गये
अपने काले कारनामो को, अदालतो मे विदेशी दस्ताने निकाल कर साफ हाथ दिखाकर कानून को बेवकूफ बनाते गये
भारत के नाम पर हम पर भार छोड गये
अन्नदाता किसानों के दर्द व जवानों के जज्बों को भुलाते गये
आरक्षण,अलगाववाद,जातिवाद,भा
आतंकवादियो के धमाको से, उन्हें (आतंकवादियो को) बिर्यानी खिलाकर, देशवाशियों को बरगलाते रहे
जो जनता को गरीबों का अपना पनहा कहते थे , वे बेगाने निकले,
जादू की छडी की लाचारी बताकर, महँगाई के कोडे चलाते रहे
हम अपने आसूँओ से तो डूबे सनम,वे तो देश को भी डूबाते चले गये
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