कैसे संविधान का खरगोश...??? देश के वोट बैंक के कछुवे के आगे धराशायी हो गया...????
यह है... देश के संविधान मे, अधिकार जमाने का खेल...??
आजतक से पिछला 66 साल का इतिहास देखो तो , हर पार्टी ने इसे वोट बैंक का मुद्धा बनाकर देश मे राज किया है,
1. पहले जातिवाद... इसमे हरिशंकर परसाई ने, एक व्यंग लेख लिखा है, भगवान श्रीकृष्ण मेरे पास आए थे... मै बिहार मे भगवान बनकर चुनाव जीतूँगा, तब उन्होने भगवान श्रीकृष्ण से कहा... जब तक आप अपना नाम भगवान श्रीकृष्ण यादव नही लिखोगे, तब तक आपका चुनाव जितना नामुमकिन है... भगवान श्रीकृष्ण ने हँसते हुए, परसाई से कहा... क्या बेवकूफी की बात कर रहे हो...बिहार के चुनाव मे भगवान श्रीकृष्ण के विरूद्द यादव नाम का उम्मीदवार खडा था, और वह भारी मतो से जीत गया
मुस्लिम-यादव (MM-Y) के सूत्र से, लालू यादव भी MY BIHAR के नाम से भ्रष्टाचार के नाम से को मेरा अपने परिवार के फुटबाल टीम के 11-12 बच्चो को पालने के लिए, के लिए जानवर से भी बदतर बन गये.. चारा घोटाला कर दिया..??? वे भी नही राबडी देवी से साले भी इस काले पने से कद्दावर हो गये, इतना ही नही लालू परिवार के कुत्ते/कुत्तिया के भी दाँत पैने होते चले गये...एक समाचार वाहिनी मे लालू को गरीब लोग कह रहे थे... 60 साल बाद भी, इस गाँव मे साईकिल चलाने लायक भी सड्क भी नही है...तब लालू ने हँसते हुए कहा आप लोग बहुत सुखी हो, यदि मै सडक बनाऊगा... तो पुलिस की गाडी आकर रोज तुम्हे सताएगी... वही अल्पमत मे आने पर आने पर रामविलास पासवान ने एक ही शर्त रखी मै, समर्थन दूँगा... , यदि कोइ मुस्लिम उम्मीदवार मुख्यमंत्री बने तो... इसी झाँसे मे नीतोश के विकासवाद के लहर मे दोनो अपने को मुस्लिम-यादव का मसीहा कहते थे.. बह गये... जब की नरेन्द्र मोदी मुख्य मंत्री बनते ही विकास की दहाड के साथ -मेरा गुजरात- कहकर... अपनी विकास की छँवी को पत्थर की लकीर बनाकर जमे हुए है....?? विरोधी भी छुपकर....?? पेड मीडिया से ऐडी चोटी का प्रचार करने के बावजूद, उनका बाल-बाँका भी नही कर पाया है...?????
2..धर्मवाद- आज देश मे 10 करोड से ज्यादा बंगला देशी घुसपैठीये है, जो 100% मतदान करते है और अपनी नागरिकता के प्रमाण को ठोस बनाते है... काँग्रेस भी राष्ट्रवावाद को 1947 से खादीवाद बनाकर इसे उकसावा दे रही है.. देश का . राष्ट्रवादी मुस्लिम भी परिवार नियोजन से अपने जीवन को सँवारने की कोशिश मे .. राष्ट्र के लिए सहयोग कर रहा है...
आज हमारे सत्ताधारी घोटाले, आतंकवाद,जातिवाद,अलगाववाद, धर्मवाद के वोट बैक के झाँसे मे 2014 के चुनाव से राजनीती करके, भ्रष्टाचार को और अधिक सुन्दर रूप देने की बाट जोह रहे है, और हमारे सीमा पर जवानो को सीमाओं को पार करने की अनुमति नही है? क्योकि हम आधुनिक हत्यारो की कमी से जूझ रहे है व वर्तमान हत्यारो से लडने पर, जवानो को वीरता का सम्मान नही मिल रहा है? यो कहें मेरे नजरों मे अब हमारी सीमायें दुश्मनों के लिये खुली है?
वही देश मे विदेशी मिशनरी व अन्य संस्थाये द्वारा देश के आदिवासी व पिछडे जनजाति का समाजिक जीवन हल्का सा उठाकर उंनका धर्म परिवर्तन कर रही है
हमारे सत्ताधारी भी चाहते है के राष्ट की तिलाजली देकर मुस्लिम व ईसाइ का अलग वोट बैंक बने और वे राष्ट्रवाद की धारा से अलग रहें
घुसपैठ: इसका इलाज: चीन की शैली
इसका उदाहरण चीन है, जहाँ एक दम्पति सिर्फ एक संतान पैदा कर सकता है, 6-7 महिने पहले मैने एक खबर पढी थी , सुदूर गाव मे एक महिला को 8 महिने का दूसरा गर्भ था, जब सरकार को पता चला तो उसने, उसका पेट फाड कर संतान को मार डाला और महिला को जेल मे डाल दिया.
क्या आप कल्पना कर सकते है ?, कि चीन कोइ घुसपैठ सहन कर सकता है.
हमारे देश मे तीन प्रकार की घुसपैठ है
1. सीमा पार से घुसपैठ – 10 करोड से ज्यादा – देश मे 30% से ज्यादा की विकास दर है (घुसपैठीया डेवलपमेट प्रोग्राम – 30% से ज्यादा)
2.देश मे घूस पैठ – रिश्वत की पैठ - देश मे 300% से ज्यादा की विकास दर है
और सरकार, घरेलू विकास दर 5% भी नही पहुँचने पर चितित है
3. इस घरेलू विकास दर को बढाने के लिये सरकार विदेशी धन माफियाओ की घुसपैठ करा रही है , वे सरकार के मिलीभगत से, झूठा विकास दिखाकर, जनता को भरमाकर, लूटेरो के साथ अपनी भगीदारी कर, सत्ता धारी अपने खजाने भर रहे है. इनकी पूजी 300-3000 गुना से ज्यादा बढ रही है और जनता अपने आपको लूटते हुए देख रही है
हमारे देश का सच
बिहार, बंगाल, असम और झारखण्ड के कुछ हिस्सों को मिलाकर एक 'ग्रेटर बंगलादेश ' बनाने की साजिस रची जा रही है सीमा के बिभिन्न रास्तो से घुसपैठ बेधडक जारी है कोई पूछने वाला नहीं,
चोरी, अपहरण, महिलाओ पर अत्याचार, लव जेहाद तस्करी व अन्य घटनाओ के साथ-साथ आतंकी संगठनों को हथियार की आपूर्ति के अलावा भारतीय अर्थ ब्यवस्था को कमजोर करने के लिए जाली नोटों के कारोबार तक में इनकी संलग्नता उजागर हो रही है एक आकलन के मुताबिक सीमावर्ती क्षेत्रो झारखण्ड, बिहार, बंगाल मिलाकर प्रति वर्ष लगभग 50 लाख घुसपैठिये देश की सीमा में प्रेबेश कर रहे है,
भारत सरकार भी कुछ इसी दिशा में बढ़ रही है , अभी सितम्बर २०११ में एक समझौते के तहत बिना किसी संसद के निर्णय के ही हजारो एकड़ जमीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बंगलादेश को दे दिया, समझ में नहीं आता की पुरे देश में सन्नाटा क्षाया हुआ है जैसे कुछ हुआ ही नहीं, तथा कथित अपने को राष्ट्रबादी दल कहने वाली बीजेपी भी चुप है अभी तक किसी भी बड़े नेता या आडवानी की रथयात्रा में भी इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हो रही, क्या हम सोनिया (सरकार) व विपक्ष के चंगुल में बिलकुल फस चुके है ? कि हमारे ही व्यक्ति को कुर्सी पर बैठा कर हमारे देश को नष्ट करने का प्रयत्न किया जा रह है.
भारत में नया बांग्लादेश गढ़ रहे हैं घुसपैठिए
बंगाल में एक फीलगुड कहावत है, ए पार बांग्ला, ओ पार बांग्ला. आम जनता की बात छोड़िए, मुख्यमंत्री एवं राज्य के दूसरे बड़े नेताओं को यह कहावत उचरते सुना जाता रहा है. संकेत सा़फ है, ओ पार बांग्ला के निवासी भी अपने बंधु हैं. भाषा एक है, संस्कृति एक है, फिर घुसपैठ को लेकर चिल्ल-पों काहे की. राज्य में भाजपा के अलावा कोई भी दूसरी पार्टी इस मुद्दे को नहीं उठाती. असम में असम गण परिषद जो आरोप कांग्रेस की सरकार पर लगाती है, वही आरोप बंगाल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी पर लगता रहा है कि वोट बैंक मज़बूत करने के लिए इन्हें बड़े पैमाने पर बसाया गया है. आंकड़े सा़फ-सा़फ सच बयां करते हैं. राज्य के सीमावर्ती ज़िलों में तो बांग्लादेशियों का बहुमत है और भारतीय नागरिक अल्पमत में आ गए हैं. राज्य में सांस्कृतिक एकता सिर चढ़कर बोलती है
अभी हाल मे 2012 के विधानसभा चुनाव मे जीत के बाद, ममता बनर्जी ने बंगला देशी मूल के मुस्लिमो को मंत्री बनाते हुए कहा , क्या हुआ ? उंनकी हमारी भाषा एक है, इस वोट बैक के व सत्ता के चक्कर मे, अब राष्ट्रवाद द्सरी ओर पीछे छूट जाता है.
अभी हाल मे 2012 के विधानसभा चुनाव मे जीत के बाद, ममता बनर्जी ने बंगला देशी मूल के मुस्लिमो को मंत्री बनाते हुए कहा , क्या हुआ ? उंनकी हमारी भाषा एक है, इस वोट बैक के व सत्ता के चक्कर मे, अब राष्ट्रवाद द्सरी ओर पीछे छूट जाता है.
और ममता बनर्जी ने यहा तक कह दिया के पशिचम बंगाल का नाम बंग प्रदेश रखा जाये, याद रहे शेख मुजीबर रहमान को बंग बन्धु के नाम से उपाधित किया गया था, युपीए -2 के चुनाव प्रचार के समय पी चिदंबरम ने खुले आम कह् दिया था, अब मै समझता हू, कि देश मे रह रहे , बंगलादेशीओ को भारतीय नागरीकता दे देनी चाहिए
दोस्तो इसके ऊपर से नकली वोटर कार्ड का तडका, अभी हाल मे ही मुब्रा मे एक समुदाय के बाहरी व घुसपैठीयो को वोट बैंक के रूपमे इस्तेमाल करने का मामला उजागर हुआ था , सरकारी माफियाओ की आड मे पनाह देने के लालच मे 100 से ज्यादा लोगो की मौत हुई थी... चुनाव धर्मवाद, अलगाँववाद, जातिवाद व घुसपैठीयो के आँकडो का खेल है... आज के माहौल मे किसी भी पार्टी को कुल वोटो का 15% वोट मिलता है तो वह संविधान का रक्ष्क हो जाता है...
अभी 3 महिने पहले ही... मुंबई मे 50 हजार से ज्यादा बांग्लादेशीयो के आधार कार्ड का जखीरा पकडा गया, पुलिस प्रशासन से विपक्षी पार्टीया भी वोट बैंक की आड मे मुँह मे पट्टी लगाकर चुप है....
घुसपैठ की आड मे , भ्रष्टाचार के जश्न से आज हर देश की वासी पर 50 हजार से ज्यादा का कर्ज है...????
चुनाव ,एक वोट बैक स्टंट है, और झूठे लोकतंत्र का टैट है..??? इसीलिए मै हर वर्ग से कहता हूँ , पार्टी नही देश का पार्ट बनो ... चलो राष्ट्रवाद की ओर...क्या आप सचित नही होंगे या मेरे डूबते हुए देश को... अब भी देखते रहेंगे.. जवाब दो....
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