Wednesday, 17 April 2013



सत्ता परिवर्तन (1947) के बाद से ही... देश मे राजनीती, लाश नीती से अप्रत्यक्ष रूप से चल रही थी...... अब तो खुले आम , आतंक-नीति और लाश-नीति पर देश की सत्ता चल रही है, मरी लाशो पर पर पाँव रखकर , देश के मुसतंडे नेता अपनी 100 पीढी के लिए रोटी सेक रहे है , खिलाओ-खिलाओ.... आतंकवादियो को चिकन बिरयानी..., और जनता को चिकने बयान से कहो......, कडी से कडी कारवाई करेंगें, और जेल मे आतंकवादियो को दाल-कडी खिला कर अपनी रूतबा बनाओ और सत्ता सुरक्षित करो- यह नेता का कर्म नही, देश शर्म है....???????

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