Wednesday, 21 November 2012



सिर्फ एक बूँद राष्ट्रवाद की ……….
यह कार्टून: देश के घोटालेबाज आदमखोर भेडिया नेताओं को समर्पित है, जिन्होने देश प्रेमी का चोला पहंनकर आम आदमी का खून पी कर देश के मासूम हिन्दुस्तानी लोगों, जो इन भेडियों के द्वारा काल के गाल समा गये है
मै उंन मासूमों को श्रदांजलि स्वरूप प्रस्तूत कर रहा हूँ – देशद्रोही

यदि इंडियन लोगों को राष्ट्रवाद का नशा लग जाये…??? तो हिन्दुस्थानी शराब पीना छोड देगा….???
एक आरटीआई कार्यकर्ता ने पुछा?…. हम, हमारे देश को क्या कह सकते है ? …इंडिया?….भारत?…… या हिन्दुस्थान…?
तो उसे, जवाब मिला कि इस देश को इन नामो में से कुछ भी कह सकते है?
दुनिया मे ऐसा कोइ देश नही है जिसे तीन नामो से पुकारा जाता हो?
मेरी इन नामो की शब्दावली निम्न प्रकार से है.
1. इंडिया – अकूत धन से चमकने वालो के लिये…इंडिया?. यो कहे शाईनिंग इंडिया.
2. भारत –जो, इन चमकने वालो के पिछलग्गू , इनके गलत कामों के सह्भागिता मे भी शामिल होने वालो लोगो के लिये भारत?…… और इंडियन बनने की होड मे दौड रहे है? (भार-रत)
3 हिन्दुस्थान- मेहनत कर भूखमरी की कगार पर पहुचने व आत्महत्या करने वालों के लिये हिन्दुस्थान…?
इस देश की अमीर इंडिया…? और गरीब हिन्दुस्तान के हालात की मार्मिक तस्वीर यह है.,
दो साल अखबार मे समाचार था, मध्य प्रदेश के टीनू जोशी दपति (I.A.S.- आफिसर) के घर 500 करोड की काली सम्पति…? बरामद हुई है, अभी और लाँकर खुलने बाकी है, उसी के बगल के समाचार कालम मे सटकर यह खबर भी थी, मध्य प्रदेश मे एक परिवार के 4 सदस्यो ने गरीबी से आत्महत्या की ?. हाँ, एक घर मे ..काले धन वाला चमकदार इंडियन रहता है, और दुसरे झोपडें मे बिना बिजली के मेहनत और ईमानदारी से रोजी रोटे कमाने वाला हिन्दुस्थानी, जो सिर्फ और सिर्फ विकास के नाम पर, वोट बैक के शोषण का मोहरा है. आज गरीबों का वोट बैक, सत्ताधारियों का इनते नाम पर योजनाये निकालकर धन बैंक के लूट का चेहरा है.
भार-रत भारत – जो हिन्दुस्थानीओ के मेहनत को नजर अंदाज कर इंडियन लोगों के साथ मिलकर, एन केन प्रकारेण धन कमाने के चक्कर मे अपने संस्कार, की तिलांजली देकर, अपनी आत्मा का गला घोटकर, अपनी जीवन शैली को अय्याशी बनाने के लिये, इंडियन लोगो का डाँक्टर (डाँग + टर्र = कुत्ता और मेढक ) बनकर उनके धन के लूट मे रखवाली कर (कुत्ता) , चुनावी मौसम मे इंडियन लोग मेढक की तरह का जोर शोर से प्रसार कर रहे है.
यह शर्म की बात है , हम अपने आपको सुपर पावर कहते है, और आज हम भुखमरी, शिशु व महिला मृत्यु दर मे हमारे देश के आकडे भयानक हैं और देश की तुलना अफ्रीकी देशो से भी ऊपर की तालिका मे की जाती है?
आज हमारे देश का, दुनिया मे किसान आत्महत्या का विश्व कीर्तिमान है और यह आँकडा दिन प्रतिदिन बढते ही जा रहा है?, लेकिन हमारे देश मे अन्नदाता (किसान) आत्महत्या कर रहा है जो देश के एक हर एक तबके को निवाला देता है?
यदि विषेश तौर से कहा जाय तो किसान आत्महत्या, राष्ट्र पर कलंक है, किसान देश का अन्नदाता है, उसकी बदौलत देश्वासिओं को भोजन नसीब होता है, 1 किसान आत्महत्या का मतलब देश के 100 परिवारो को निवाला खिलाने वाला देश से चला गया,
आज देश मे किसानों के परिवारो की महिने की औसत आय 2200 रूपये है ,जबकि सरकारी चपरासी की महिने की औसत आय 10000 रूपये से ज्यादा है, इसमे उसकी उपर की कमाइ जिसे रिश्वत कहते है शामिल नही
दो साल पहिले, मुबई मे थाने शहर मे एक बेरोजगार अधेड उम्र के युवक ने अपनी आत्महत्या के पहले अपने पत्र मे लिखा, मै महँगाई के वजह से परेशान हू और इसका जवाबदार कृषि मंत्री शरद पवार हे.

सरकार की राष्ट्रवाद की परिभाषा

काँमन वेल्थ गेम (1 लाख करोड के घोटाले का खेल) के समाप्ति पर आयकर विभाग ने हर अखबार और दूरदर्शन मे विज्ञापन मे मुम्बई के वरली सी लिक के सेतु व साईना नेहवाल के चित्र के साथ मे लिखा था,
काँमन वेल्थ से देश को राष्ट्रवाद के रूप मे आपका धन वापस मिल रहा है और देश गौरान्वित हुआ है
और जनता से अपील की गई थी कि आप सही समय पर आयकर भरें और राष्ट्र निर्माण मे सहयोग करें.
यह विज्ञापन देख कर मेरा माथा ठनका, मुझे यह समझ मे नही आ रहा था कि आयकर विभाग सरकार की पीठ थपथपा रहा है या सरकार इस विज्ञापन से आयकर विभाग की पीठ थपथपा रही है
जो काँमन वेल्थ गेम (1 लाख करोड के घोटाले का खेल) का हाल है , वही हाल मुम्बई के वरली सी लिक के सेतु का है, 400 करोड की लागत जिसे पाँच साल मे पूरा होना था , उसे दस साल से अधिक लग गया और् सेतु 1700 करोड रूपये से अधिक लागत लग गई, यदि पाँच साल की अवधि के समय. 1700 करोड का चक्रवर्ती व्याज के रूप मे देखे तो यह सेतु 3500 करोड से भी अधिक मे बना, यदि यही धन जो देश के किसान निजी साहुकारो से अधिक 10% मसिक ऋण से लेते है तो यह राशी 15000 करोड से ज्यादा होती
राष्ट्रवाद के रूप आयकर विभाग व भारत सरकार से कहना चाहता हूं, कि यदि यह सेतु , सही समय व निर्धारीत राशी मे बनता तो .राष्ट बिना टोल लिये हुये इन पाच सालो मे 500 करोड से ज्यादा का ईधन बचा लेता था.
अभी एक सप्ताह पहले ही खबर आई थी कि, सी लिंक के टोल के फर्जी पास के गोरखधधे का
माफिया राज चल रहा है.......,

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