Thursday, 22 November 2012



संविधान के रक्षक-
आज ६७ सालों से इस संविधान को राष्ट्रनीती की बलि देकर (सिर्फ लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल को छोड़कर) सत्ता के अफीमी नारों से लोमड़ी वाद के खेल से अशोक स्तंभ के शेरों को घायल कर अफीमी नारों से देश को चलाया है.....,देश विदेशी आकांओं के मकडजाल में फंस कर..., कर्ज के गर्त में जाकर भीषण गुलामी की ओर धकेला जा रहा है....
ऊपर से देश के ३३ हजार कानूनों को इस लोमड़ी वाद ने जनता को इस जाल में फंसाकर ..., न्याय प्रकिया में घर-बार बिकाकर ..., लड़ने की प्रतिरोध की शक्ति खत्म कर दी है....,
इस लोमड़ी वाद ने अपने लूट पर लूट के कारनामों में खुली छूट लेकर, क़ानून की हथकड़ी को जोड़कर , झूला बनाकर, नौकरशाही से झूला झूलाकर , संविधान का मसीहा कह कर ....काले धन की रकम डकारकर ...अकूत सम्पत्ती के साम्राज्य से कोई दंड से धन नहीं लौटाया है....,
जनता को क़ानून के जाल में फांसकर तारीख पर तारीख देकर, घर बार बिकाकर , लड़ने की शक्ति से हताश कर बेबस कर दिया है...,

इस लूट के बावजूद अब भी अपने को संविधान का मसीहा कहकर फूले नहीं समा रहें है....

जानें........, -हिंदुस्था न का अशोक स्तं भ – के चिन्ह का अर्थ ....,
हमारा राष्ट्रीय चिह्न, अशोक स्तंकभ (अशोक चिह्न में इसे इस प्रकार से दर्शाया गया है कि इसमें प्रदर्शित चार शेर और सामने से दृष्टिगत शेरों के चार पैर परम् मौलिक ऊर्जा के चार अंशों का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी भी दिशा से सामने देखने पर शेरों के तीन मुँह और चार पैर ही दृष्टिगोचर होते हैं। जिससे यह तात्पर्य निकलता है कि इस मौलिक ऊर्जा के चार अंशों में से तीन अंश ऊपर उठकर आकाश में अवस्थित हैं, शेर के माध्यम से इस मौलिक ऊर्जा की अभिव्यक्ति इसे सर्वशक्तिमान प्रतिपादित करती है। अशोक चिह्न में शेरों के आधार पर स्थित पशु और चक्र, इस परम मौलिक ऊर्जा के एक अंश का प्रतीक होकर दृश्य जगत का भाग है। इसमें चिह्नित अश्व एवं गाय चैतन्य जगत का प्रतिनिधित्व करने के साथ, परम मौलिक ऊर्जा तथा प्रकृति को अभिव्यक्त करते हैं। अशोक चिह्न में चैतन्य जगत को अश्व एवं गाय के द्वारा अभिव्यक्त किया गया है। )

जाने इस लोमड़ी के बारे में आज के नव युवकों का ज्ञान ..., जब मै लोगों से पूछता हूँ ? कि हमारे राष्ट्रीय चिह्न, अशोक स्तं भ मे कितने शेर है ।
लगभग 80 प्रतिशत लोगो ने कहा 3 शेर है । 10 – 12 लोगो ने हिचक कर कहा 4 शेर ..?? 8-10 प्रतिशत लोगो ने विश्वास से कहा 4 शेर। फिर, मैने कॉलेज के छात्रों से पूछा ? 95 प्रतीशत छात्रों ने कहा, 3शेर । एक छात्रो ने मुझसे कह दिया, अंकल आपको दिखता नही है क्याो ?, इसमें एक बडा शेर है व दो छोटे शेर है ।
मैने इन 8-10 प्रतिशत लागों से कहा कि इसके पीछे चौथा शेर नही बल्कि एक लोमडी है ।जिसके वजह से ये तीनो शेर अपाहिज हो चुके है ।
देश की जनता में जो शेर के रक्तक का चौकन्नापन, फूर्ती होनी चाहिए थी वह खत्मर होती जा रही है ।
आज हर सरकारी विभाग में, मंत्रालय, कोर्ट व इत्याीदि में जहॉं लोहे, मिट्टी
की उभरी आकृती मे भी 3 शेर ही देखने मिलते है । किसी भी सरकारी विभाग में यदि चार शेर वाला अशोक चिह्न दिखाई देना एक सौभाग्यि की बात होती है ।
आज तक मैने जहा भी इन शेरो की उभरे हुई आकृति देखी है वह काले रंगो मे, उससे मुझे लगता है की शेर को भ्रष्टाचार की काली कालिख लगी हुइ है।
आज देश को एक लोमडी , 3 शेरो को नकेल डालकर चला रही है । आज 65 साल बाद भी वे जातिवाद , भाषावाद , आतंकवाद, आरक्षण, अलगाववाद , क्रिकेट के द्वारा से शेर के अगले पॉंव अपंग से हो गए है, इनके दाँत भी तोट टूट चुकें है, जो दॉंत बचे हुए है उनका पैनापन भी समाप्त हो चुका है । इन सत्तास की लोमडी की वजह से हमारी जनता की मौलिक ऊर्जा की स्तिथी ऐसी हो गई है कि ये हम पर नकेल कसने के बावजूद, हमारी प्रतीक्रीया लगभग समाप्त हो चुकी है । देश के प्रति लोगों का शरीर दुर्बल होते जा रहा है । हमारे दॉंतो व नाखून ( विचारों ) टुटते हुए जर्जर होते जा रहे है । और हम ऐन-केन प्रकारेण घुटन के साथ में घायल अवस्थार में जीवन जीने का प्रयास कर रहे है ।
ये लोमडी अपने रथ पर भष्टाीचार, टॅक्स ,काले धन व अन्य का बोझ डालकर हम जनता को और दुर्बल कर रही है ताकि हम इससे भी बदतर हालत में जीवन जीने को अभ्यिस्तस हो ?

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