बापू की जयंती बनी….??? भ्रष्टाचार की क्रान्ति ..??????????????.
Posted on 30 September 2013. In website meradeshdoooba
शद्रोही : बापू आप नोट पर चढ़ रहे है, कही, आपके हाथ पाँव में चोट न आ जाये
बापू: मुझे मेरे शरीर की चिंता नहीं है, मै देखना चाहता हूँ , मुझे महात्मा व राष्ट्रपिता के अलंकार से मेरे वचारों का शिकार कर , इन कल्मूहों ने देश की बर्बादी कर दी है ….
देशद्रोही : बापू, आपकी उमर १४५ साल की हो रही है , आपके जीर्ण शरीर में चोट आने पर , कोई , कांग्रेसी आपके लिए १८ रूपये भी खर्च करने वाला नहीं है
बापूजी , एक बात, आपको भी पता होगी , देश की कांग्रेसी अध्यक्षा के ईलाज में राष्ट्र के १८०० करोड़ रूपये खर्च करने के बावजूद , तुम्हारे ही कांग्रेसीगण चुनौती से जनता को कह रहें है… ,इसका हिसाब माँगने का अधिकार तुमको नहीं है,
बापू: मुझे मेरे तन की नहीं , देश वासियों के तन की चिंता … मै देखना चाहता हूँ… कैसे १% से कम लोग जो… अपने को अंग्रेजों की औलाद कहने वालों ने देश की बर्बादी की है और सच्चा , हिंदुस्थानी आज भी भूखा नंगा है,
देशद्रोही : बापू आपकी जयन्ती आ रही है , सभी सरकारी व नीजी संस्थानों में छुट्टी व नगर, शहर से देश भर में आपके आदम कद पोस्टरों, बैनरों , व हर अखबारों में पूरे पेज का विज्ञापन से देश पटा होगा और देश को लगभग १०००० हजार करोड़ रूपये का चूना लगेगा…???
बापू: हाँ , बेटा , अभी सातवा वेतन आयोग लागू हो रहा है , अगले साल यही रकम २० हजार करोड़ हो जायेगी , बड़ी तनख्वाह के बावजूद , जो सरकारी बाबू , जो आज खाबू बन गए है वे और ऐश करेंगे
देशद्रोही : बापू आपसे और बहु कूछ पूछना चाहता हूँ … क्या आप जवाब देंगे
बापू: बेटा यह देखकर मेरे आंसू नही थम रहे है , मै तो कब से लटका हूँ, इस नोट पर … तू, तो अभी आया है , अभी मेरे हाथ पाँव , यह सब देखकर काँप रहे है, अभी मुझे विश्रांती में जाने दे … मेरी जयन्ती के बाद फुर्सत से बात करूंगा तेरे से….
देशद्रोही : बापू , धन्यवाद , फिर आपके आने का बेसब्री से इन्तजार करूंगा …
लिखने की प्रेरणा
Posted on 15 October 2012.
26/11 के घटना के दौरान मै निजि काम से एक हफ्ते के लिये पुना मे था, चार दिन बाद बंम्बई पहुँचा तो फैक्ट्री के रास्ते दोपहर के समय एक रास्ते में लस्सी पीने, एक ठेले के पास पहुचा तो वहाँ, एक अधेड उम्र का व्यक्ती, पुराने कपडें व फटी चप्पल वाला पहनावा, के एक हाथ मे मराठी दैनिक नवा काल अखबार था ( यह अखबार 90 साल से प्रकशित हो रहा है औए उसके संपादकीय विचार बेबाक रहते है)
तब मैने उससे पूछा ? , 26/11 के घटना के बारे मे आपके क्या विचार है?, तो उसने कहा
”हम लोग सत्ता लेने मे घाई (मराठी शब्द = जल्दबाजी) किया है , हमको आजदी 20 साल पहले क्रांतीकारियो के हाथो से मिलती तो हमारा लूटा हुआ सोना व अन्य सामान भी हमें वापस मिलता, यदि हमे आजादी 20 साल बाद मिलती तो आज परिस्तथिति कुछ और होती” , आज अंग्रेजों के पास हमारा कोहिनूर हीरा है, हमे. उसे मांगने की भी, हमारी हिम्मत नही है?
यह तो अभी ट्रेलर (झलक) है देखो आगे आगे हम कैसे बरबाद हो रहे होंगे?
तब मैने उससे पूछा ? आप तो सत्ता कह रहे है , हमे तो आजादी मिली है
उसने कहा यही तो भ्रम है? यह आजादी नही सत्ता का हस्तांतरण है इसलिये तो आज भी हम, हमारे अंग्रेजो के कानून के आगे गुलाम है? उसने आगे कहा, चर्चील ने भी कहा था, इस मुल्क को और हजार साल गुलाम रखेंगे तो भी लोग , सर नही उठाएगे, ये मुल्क गुलामी के लिये बना है, और हम यह सत्ता इन चोर लूटेरो को सौंप रहे है, क्या? ये सत्ता 15 साल भी सम्भाँल पायेंगे? उसकी भविष्यवाणी सच हुई, तुरंत काशमीर का एक हिस्सा हमने खो दिया , 15 साल मे चीन ने हमसे से एक हिस्सा हडप लिया, हमारे लोक सभा सांसदो ने भी उस समय कसमे खाई थी, हम छीना हुआ हिस्सा एक एक इंच लडकर लेंगें, लेकिन आज हममे उसके प्रतिरोध की भी ताकत नही है,
ये लोग सत्ता के नशे मे है. अभी देश के उत्तर पूर्व के भाग भी टूटने के कगार पर है?
तब मैने कहा आप बोलते क्यो नही ?
उसने कहा, देखो मै दिहाडी मजदूर हूँ, अभी मै कंपनी के द्वार पर खडा था, अभी रोजगार मिलेगा -अभी रोजगार मिलेगा, इस आशा मे दोपहर तक खडा था?, तो रोजगार ना मिलने से से मै यहाँ हूँ? मुझे महीने मे मुश्किल से 15 देन का रोजगार मिलता है, घर मे भी पैसे की तंगी है, तुमको तो मालुम है आज हर गली मे हर पार्टी का गुन्डा मौजूद है, और पुलीस, प्रशासन भी उसे शह देता है, अब मै बोलकर, क्या अपना घर उजाडूँ ? , कोइ साथ देने की बात छोडो, मेरे घर वाले भी मुझे प्रताडित करेंगे और कहँगे, हमें भुखे पेट रखकर तुम्हें शासन से पंगा लेने की क्या उतावली थी?
मैने कहा, तुम्हारी यह बात बिल्कुल सही है,
अलीबाबा को धनी बनने के लिये 40 चोर मारने पडे थे ?
आज देश का अलीबाबा (धनी) बनने के लिये
आज एक नगरसेवक (मराठी शब्द – पार्षद- मेरी परिभाषा से नगर भक्षक) को कम से कम 40-400 ? व विधान सभा सेवक को (शहर भक्षक) 400-4000 ?
लोक सभा सेवक को (जिला भक्षक) 4000- 40000? की चोरों, गुडों की फौज चाहिये.
देश मे जीना …………?
मैने अखबार के दूकान पर एक युवक को देखा ,जिसका उदास सा चेहरा , चेहरे पर हल्की सी दाढी,उल्झे बाल , साधारण सा पहनावा पैरौ मे रबर कि चप्पल, वह युवक 5-6 अख्बार व 2-3 पत्रिकाये खरीद रह था , मैने उससे पूछा , आप इतने अखबार पत्रिकाये क़्यो खरीद रहे हो ? तो उसने कहा, लोगो को शराब का नशा होता है मुझे समाचार पढने का नशा है.
तो मैने उससे, देश के बारे मे उसके विचार पूछे, तो उसने कहा
मुझे ऐसा लगता है कि मै इस देश मे क्यो पैदा हुआ ? इस देश मे इतने धर्म है इतनी भाषाए, इतनी जातियाँ, लोगो का अपना अपना समूह है,लोगो मे इतना भेद भाव है,
आज की शिक्षा प्रणाली ऐसी है, आज लोगो से पूछो ? कौन से प्रदेश मे कौन सा जिला कहाँ है?, लोग अटपटा जवाब देते है, आज देश कि समस्याओ के बारे मे जो सोचेगा , अच्छा खासा आदमी भी चिंता से बीमार पड जायेगा.
इस देश मै वही आदमी जी सकता है, जो जांनवर की तरह मस्त रहेता हो अपना पेट भरता हो. और देश से उसका कुछ लेन देना नही हो ,
अखबार से संकलित
चाहे जो हो धर्म तुम्हारा चाहे जो वादी हो ।
नहीं जी रहे अगर देश के लिए तो अपराधी हो ।
जिसके अन्न और पानी का इस काया पर ऋण है
जिस समीर का अतिथि बना यह आवारा जीवन है
जिसकी माटी में खेले, तन दर्पण-सा झलका है
उसी देश के लिए तुम्हारा रक्त नहीं छलका है
तवारीख के न्यायालय में तो तुम प्रतिवादी हो ।
नहीं जी रहे अगर देश के लिए तो अपराधी हो ।
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