हमे आजादी मिली - सत्ता के परिवर्तन से - पहिले सत्ता के पहरेदारों ने गुंडा तंत्रों द्वारा मानव मुंडों के संहार से रक्तपात की नदियाँ बहायी
“ जननी जनम भूमि स्वर्ग
जनी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीबीसी “
अर्थात "माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी महान हैं।
देश का हिंदू इस विचारधारा से काट दिया गया
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देश के टुकड़े करने का यह सुनियोजित खेल आतंकवाद के तीन चेहरे थे , जो सन १९४७ के पहिले तीन बंदर के रूप में छद्म मुखौटे में थे
इन्ही की कलाकारी में ये सत्तालोलुप से एक बंदर ने जनता को भरमाया की देश के टुकड़े होंगे तो मेरे शरीर के भी दो टुकड़े होंगे,
“दूसरे दो बंदर नेहरू और जिन्ना ने अपना सत्ता चोर का घिनौना खेल , खेला व जनता को बता दिया की हमारा मकसद क्या था
गांधी की गंदी राजनीति जवाहर के जहर व जिन्ना की जिन की तिकड़ी ने भारत माता को खंडित कर १० करोड़ लाशों पर जश्न मनाया
याद रहे ..!! सन १९४७ में सत्तापरिवर्तन के समय बंगला देश के चटगांव व उनके आस पास ९८% हिंदू थे ,
जनता द्वारा बार - बार गुहार लगाने के बावजूद यह टुकड़ा नेहरू द्वारा बांग्लादेश को दे दिया
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१९४७ में नेहरू, जिन्ना द्वारा देश के टुकड़े करने पर गांधी की मूक सहमति
नेहरूजी..,चटगांव में ९८% हिंदू है हमे हिंदुस्तान से अलग कर , मुस्लिम कसाई के हवाले मत करों
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मैंने देश के टुकड़े कर , इस जश्न का केक काट लिया है , मुझे इसका कोई अफ़सोस नही है ..